– गर्मी और उमस के बीच बढ़ी बेचैनी
भौंरासा (मनोज शुक्ला)। नगर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों बिजली व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। गर्मी और उमस के इस भीषण मौसम में बिजली की आंखमिचौली ने लोगों की दिनचर्या बुरी तरह प्रभावित कर दी है। हालात यह हैं कि थोड़ी सी हवा या बारिश होते ही बिजली सप्लाई बंद हो जाती है। दिन हो या रात—कभी भी बिजली गुल हो जाती है और इसका कोई निश्चित समय भी नहीं होता कि कब आएगी और कब फिर चली जाएगी।
बिजली की इस अनिश्चितता ने नगरवासियों की नींद और चैन दोनों छीन लिए हैं। एक ओर उमस भरी गर्मी में पंखे और कूलर ठप्प पड़ जाते हैं, तो दूसरी ओर रात को बार-बार लाइट जाने से लोग चैन की नींद तक नहीं ले पा रहे। छोटे बच्चे, बुजुर्ग और बीमार इस स्थिति में सबसे ज्यादा परेशान हैं।
फाल्ट का बहाना, समाधान नहीं-
जब भी विद्युत उपभोक्ता स्थानीय बिजली कार्यालय में फोन लगाते हैं, तो या तो फोन उठता नहीं है, और अगर उठ भी गया तो जवाब मिलता है तकनीकी फाल्ट है, केबल जल गई है, डीपी फ्यूज उड़ गया है या ट्रांसफॉर्मर खराब हो गया है। जवाब हर बार एक नया, लेकिन समस्या वही की वही।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यदि किसी क्षेत्र में मेंटेनेंस कार्य चल रहा है, तो केवल उसी क्षेत्र की बिजली आपूर्ति रोकी जाए, लेकिन विभाग द्वारा पूरे क्षेत्र की बिजली एक साथ बंद कर दी जाती है। इससे आम उपभोक्ताओं को अतिरिक्त परेशानी का सामना करना पड़ता है।
गर्मी में त्रस्त जनता, बरसात में बढ़ेगा संकट-
मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में झमाझम बारिश की संभावना जताई है। ऐसे में पहले से ही कमजोर और बार-बार फाल्टग्रस्त विद्युत लाइनों से सप्लाई बाधित होने की आशंका और अधिक बढ़ गई है। नगरवासियों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के उपभोक्ता भी लगातार हो रही बिजली कटौती से परेशान हैं।
बार-बार ट्रिपिंग और फाल्ट की समस्या से न केवल घरेलू उपभोक्ता बल्कि दुकानदार और छोटे कारोबारी वर्ग भी प्रभावित हो रहे हैं। इन हालातों में फ्रिज, इन्वर्टर, वॉशिंग मशीन, मोबाइल चार्जिंग जैसी मूलभूत सुविधाएं भी बाधित हो रही हैं।
जनता ने की मांग-
स्थानीय नागरिकों ने बिजली वितरण कंपनी से मांग की है कि मेंटेनेंस का कार्य क्षेत्रवार किया जाए, न कि पूरे नगर की सप्लाई रोकी जाए। बार-बार फाल्ट की तकनीकी जांच कर स्थायी समाधान निकाला जाए। विद्युत कार्यालय में हेल्पलाइन को सक्रिय किया जाए और उपभोक्ताओं की शिकायतों पर तुरंत कार्यवाही हो।
अखिर कब आएगा ‘भौंरासा’ में बिजली पर भरोसा?
भौंरासा में बिजली है ही नहीं भरोसे की यह कथन अब मज़ाक नहीं, बल्कि यहां के नागरिकों की वास्तविक पीड़ा बन चुका है। जरूरी है कि विभागीय अधिकारी स्थिति का संज्ञान लेकर गंभीरता से सुधार के प्रयास करें, अन्यथा मानसून में यह स्थिति और भी भयावह हो सकती है।
