देवास फिर उपेक्षित! जबलपुर में कम पैसेंजर फिर भी मेट्रो, देवास की अनदेखी पर कांग्रेस ने जताई नाराजगी

🔹 20 हज़ार यात्रियों की क्षमता के बावजूद नहीं मिली मेट्रो की सौगात
🔹 कांग्रेस ने मुख्यमंत्री और जनप्रतिनिधियों से की तत्काल हस्तक्षेप की मांग
देवास। भोपाल और इंदौर के बाद अब ग्वालियर और जबलपुर जैसे शहरों में भी मेट्रो चलाने की तैयारी पूरी हो रही है, लेकिन इसी बीच देवास जैसे औद्योगिक और यात्री बहुल शहर को एक बार फिर नजरअंदाज कर दिया गया है।
इस निर्णय पर अब कांग्रेस ने सवाल खड़े करते हुए भाजपा सरकार पर देवास की लगातार उपेक्षा का गंभीर आरोप लगाया है।
प्रदेश सरकार द्वारा उज्जैन, ग्वालियर और जबलपुर में मेट्रो ट्रेन के लिए कराए गए कंप्रिहेंसिव मोबिलिटी प्लान सर्वे में यह सामने आया कि इन शहरों में पीक ऑवर्स में यात्रियों की संख्या 15,000 से कम है, जबकि मेट्रो चलाने के लिए कम से कम 20,000 यात्रियों की आवश्यकता होती है।
कांग्रेस का तर्क-
शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी और कार्यकारी अध्यक्ष सुधीर शर्मा ने तथ्यों के साथ यह दावा किया कि देवास-इंदौर रोड पर प्रतिदिन 20 हजार से अधिक यात्री यात्रा करते हैं।
एमपीएसआरटीसी की 40 बसें, उपनगरीय बस सेवा की 20 बसें। हर बस करती है रोज़ाना 8 फेरे। औसतन 19200 यात्री प्रतिदिन केवल बसों से आनाजाना करते हैं। रेल यातायात और अन्य साधनों से अतिरिक्त सवारियां भी है। इसके अलावा लंबी दूरी की बसें भी देवास होकर गुजरती हैं। यात्री भार के मामले में देवास, जबलपुर से कहीं आगे है, लेकिन उसके बावजूद जबलपुर में मेट्रो और देवास में चुप्पी। कांग्रेस ने इसे शहर के साथ सरासर अन्याय बताया है।
जनप्रतिनिधियों ने नहीं की पहल-
कांग्रेस नेताओं ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि देवास के किसी भी जनप्रतिनिधि ने अब तक मेट्रो ट्रेन को लेकर कोई पहल नहीं की है। उनका कहना है कि यह केवल शासन की ही नहीं, बल्कि स्थानीय नेतृत्व की विफलता भी है।
कांग्रेस की मांग-
कांग्रेस ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मांग की है कि देवास-इंदौर के बीच मेट्रो ट्रेन परियोजना पर गंभीरता से विचार किया जाए और शहर को इसका हक दिलाया जाए। जब आंकड़े साफ हैं, यात्री भार स्पष्ट है, तो देवास को उसका हक क्यों नहीं? इस सवाल का जवाब शासन को देना ही होगा।



