राजनीति

देवास के विकास से भेदभाव क्यों- कांग्रेस

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– कांग्रेस ने उठाया सवाल, कहा देवास को स्मार्ट सिटी की लिस्ट में करें शामिल

देवास। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2015 में शुरू की गई स्मार्ट सिटी योजना का उद्देश्य देश के चुनिंदा शहरों को आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित करना और नागरिकों को बेहतर जीवन प्रदान करना है। इस योजना में प्रदेश के सात शहर- भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, सतना, सागर और उज्जैन को शामिल किया गया है, लेकिन औद्योगिक और धार्मिक नगरी देवास को इससे बाहर रखा जाना बड़ा सवाल खड़ा करता है।

शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी और कार्यकारी अध्यक्ष सुधीर शर्मा ने कहा, कि जब सतना और सागर जैसे छोटे शहर स्मार्ट सिटी का दर्जा पा सकते हैं, तो देवास क्यों नहीं? इंदौर और उज्जैन जैसे दो प्रमुख शहरों के बीच स्थित होने के बावजूद देवास की उपेक्षा की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा, कि देवास, इंदौर का उपनगर बनने की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में इसे स्मार्ट सिटी योजना में शामिल किया जाना चाहिए।

धार्मिक नगरी का भी दर्जा नहीं-
कांग्रेस नेताओं ने कहा, कि हाल ही में प्रदेश के 17 शहरों को धार्मिक नगरी घोषित किया गया, लेकिन मां चामुंडा और तुलजा भवानी जैसे प्रसिद्ध मंदिर के बावजूद देवास को इसमें जगह नहीं मिली।

सिंहस्थ का दबाव रहेगा-
कांग्रेस नेताओं ने कहा, कि आगामी उज्जैन सिंहस्थ महाकुंभ के दौरान इंदौर और देवास पर जबरदस्त दबाव रहेगा। ऐसे में देवास को स्मार्ट सिटी में शामिल कर यहां के विकास को गति दी जाए, ताकि यह इंदौर और उज्जैन की विकास यात्रा में सहयोगी बन सके।

कांग्रेस नेताओं ने कहा, कि जब नगर निगम और विकास प्राधिकरण जैसी संस्थाएं शहर में कार्यरत हैं, तो फिर देवास को स्मार्ट सिटी का दर्जा दिलाने में जनप्रतिनिधि क्यों रुचि नहीं ले रहे।

सरकार से मांग-
कांग्रेस ने सरकार से मांग की है, कि देवास को स्मार्ट सिटी में शामिल करने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के समक्ष ठोस प्रस्ताव रखा जाए और इसे धार्मिक नगरी का दर्जा भी दिया जाए। इससे न सिर्फ देवास बल्कि इंदौर और उज्जैन को भी विकास का लाभ मिलेगा।

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