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    माँ की याद में…

    ByNews Desk

    Feb 8, 2025
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    सोचा न था तेरे बिना जिएंगे कैसे, तेरे बिन इस बेदर्द दुनिया से लड़ेंगे कैसे।

    तेरी ममता की छांव अब भी साथ है,
    हर सांस, हर धड़कन में तेरा ही नाम है, माँ।

    जब पापा की डांट से सहमे हम,
    तेरी गोद का सुकून ही था जो हमें थामे रहा।
    वो बचपन की मीठी यादें, तेरी लोरियों की गूंज,
    अब भी दिल के किसी कोने में जिंदा हैं, माँ।

    चांदनी रातों में जब तू थपक-थपक सुलाती थी,
    तेरी ममता की गर्माहट में नींद अपने आप आ जाती थी।

    तेरी वो मीठी पुकार—”मेरा लाल, मेरा चंदा”,
    आज भी कानों में गूंजती है, माँ।

    गर चोट हमें लगती तो दर्द तुझमें भी होता,
    हमारी तकलीफ में तू खुद भी रोती थी।
    रात-रातभर सिरहाने बैठकर तू जागती,
    बस यही चाहती कि तेरा बच्चा चैन से सोए।

    आज तू साथ नहीं, पर एहसास तेरा हर पल है,
    तेरी दुआओं का साया अब भी हर मुश्किल में संबल है।

    तेरी ममता, तेरा प्यार, तेरी यादें,
    हमेशा हमारे साथ रहेंगी, माँ।

    विजेंद्रसिंह ठाकुर की कलम से ✒️

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