देवास। मध्यप्रदेश के सीधी जिले में पत्रकार व अन्य साथियों के साथ हुए अमानवीय व्यवहार के विरोध में देवास प्रेस मीडिया ग्रुप ने शनिवार को कलेक्टर कार्यालय में एडीएम महेन्द्र सिंह कवचे को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया कि प्रदेश के सीधी जिले के एक पुलिस स्टेशन में पत्रकारों, थिएटर कलाकारों और अन्य नागरिकों को निर्वस्त्र (चड्डी बनियान में) करके और परेड करने के निंदनीय घटना से समस्त पत्रकार जगत स्तब्ध है और इसकी घोर निंदा करता है। प्रदेश में यह किसी अक्षम्य अपराध से कम नहीं है। यह घटना अभूतपूर्व चरम पर पहुंचने वाले मीडियाकर्मियों के खिलाफ अत्याचार के बारे में भी बताती है। दिलचस्प बात यह है कि इस तरह की ज्यादातर अपने बचाव के लिए पुलिस और राजतंत्र इस सिद्धांत का प्रचार कर रहे हैं कि गिरफ्तार व्यक्ति पत्रकार नहीं थे। गिरफ्तार किए गए व्यक्ति पत्रकार थे या नहीं या सिर्फ सामान्य नागरिक आपराधिक प्रक्रिया संहिता में कहीं भी यह उल्लेख नहीं किया गया है कि गिरफ्तार व्यक्तियों को सार्वजनिक रूप से अर्ध नग्न और अपमानित किया जाए। ज्ञापन के माध्यम से मांग की गई कि पत्रकारों को रिहा किया जाए और उन्हें मध्यप्रदेश सरकार के हाथों मानसिक पीड़ा और शारीरिक उत्पीड़न के लिए मुआवजा दिया जाए। साथ ही हम राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से आग्रह करते हैं कि पत्रकारों और नागरिक समाजों के खिलाफ ऐसे सभी अत्याचारों पर स्वत: संज्ञान ले, जिससे उक्त अमानवीय कृत्य की पुनरावृत्ति ना हो। ज्ञापन के दौरान श्रीकांत उपाध्याय, तरुण मेहता, हेमंत शर्मा, आदर्श ठाकुर, सौरभ सचान, शकील खान, रघुनंदन समाधिया, राजेश धनेचा, मुकेश पांचाल, राजेश मालवीय, रूपेश मेहता, दीपक विश्वकर्मा, चेतन योगी, नागेंद्र सिंह राजपूत, मोनू कुशवाह, कमल अहिरवार, राम माल्या, हर्षद मेहता, राकेश निगम, मुर्तजा शैफी, नितिन राठौर, पप्पू चौहान, वरुण राठौर, फरीद कुरैशी, धीरज सेन आदि पत्रकार साथी उपस्थित थे।
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