धर्म-अध्यात्म

स्कूल-कॉलेज में पढ़ाएं गीता-रामायण

– स्कूल में रामायण का चैप्टर पढ़ने वाले देश से कभी नहीं करेंगे गद्दारी

– जितनी अंग्रेजी पढ़ाएंगे, उतने छोटे होते जाएंगे कपड़े

– कम कपड़े पहनने वाले लोग मॉर्डन तो कहे जा सकते हैं, लेकिन संस्कारी नहीं।

  • संत देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कम से कम 12वीं तक ना हो प्राइवेट स्कूल

देवास। कोई जाति के नाम पर तो कोई पार्टी के नाम पर वोट देता है। देश के नाम पर कब वोट दोंगे, कब बढ़ाओंगे देश को। ऐसे व्यक्ति को कब चुनोंगे जो गीता पढ़ाए..रामायण पढ़ाए, जो संस्कार दें। आज हमारे देश की सरकार अच्छी है। प्रधानमंत्री देश के गौरव को बढ़ा रहे हैं, लेकिन कोई मुझसे पूछे कि आप सेटिसफाइ है तो मैं कहूंगा नहीं। देश में कई निर्माण कार्य हो रहे हैं, अनुच्छेद 370 मिटा दी गई है..। हम मोदीजी का सम्मान, स्वागत करते हैं, लेकिन जिस दिन बच्चों को स्कूल-कॉलेज में गीता-रामायण पढ़ाई जाएगी उस दिन हम उन्हें साष्टांग प्रणाम करेंगे।

यह ओजस्वी विचारों से ओतप्रोत प्रवचन मिश्रीलाल नगर स्थित गोकुल गार्डन में हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए संत देवकीनंदन ठाकुर ने दिए। संतश्री ने कहा कि आज हमारे बच्चों के हाल क्या है, उनकी हेयर स्टाइल देखों किसी भी एंगल से भारतीय नहीं लगते, इसलिए आजादी के अमृत महोत्सव में हम मोदीजी से प्रार्थना करते हैं कि कम से कम 12वीं तक प्राइवेट स्कूल ना हो। नेता, मंत्री, आइएएस सभी के बच्चे एक ही स्कूल में पढ़े। मदरसे भी हटा दो। सरकारी स्कूलों में रामायण का चैप्टर पढ़ाया जाए। रामायण का चैप्टर पढ़ने से अन्य धर्म के बच्चे होने पर भी वे देश से गद्दारी नहीं करेंगे। संतश्री ने कहा कि मुझे भी अपने विचार रखने की आजादी है, यह सब इसी सरकार से आशा कर सकते हैं अन्य से नहीं। सरकार को याद रखना चाहिए कि जब कोई आशा करता है तो उसे पूरा करना एक राजा का धर्म है। हम अपनी सरकार से सत्ता व पद नहीं मांग रहे हैं। हम अपनी सरकार से संस्कार मांग रहे हैं। बच्चों को जितनी अंग्रेजी पढ़ाएंगे, उतने ही कपड़े छोटे होते जाएंगे। कम कपड़े पहनने वाले लोग मॉर्डन तो कहे जा सकते हैं, लेकिन संस्कारी नहीं।

कन्या पूजन करों तो हृदय से-

संतश्री ने कहा कि जिन कन्याओं का हम पूजन करते हैं, वे भोग की सामग्री नहीं है। सिर्फ नवरात्रि में कन्या पूजन करने वाले और दूसरी कन्याओं पर कुदृष्टि रखने वाले तुम भारतीय नहीं हो सकते। फेसबुक के लिए सिर्फ कन्या पूजन मत करों, नरक में जाओंगे तुम्हें कोई नहीं बचाएगा। पूजन करों तो मन से हृदय से करों, कन्याओं को देवी का रूप ही समझो।

तीन प्रकार की होती है कृपा-

भगवान की तीन प्रकार की कृपा के बारे में समझाते हुए संतश्री ने कहा कि हम कहते हैं कि भगवान ने बड़ी कृपा कर मनुष्य जीवन दिया है। भगवान की कृपा तीन प्रकार की होती है। पहली कृपा सामान्य, दूसरी विशेष और तीसरी कृपा अद्भुत है। सामान्य कृपा भगवान सभी पर करते हैं। भगवान ने जिन्हें सृष्टि में भेजा है, उन सबके खाने-पीने, रहने आदि की व्यवस्था की है। मनुष्य जीवन में भगवान से मिलने की इच्छा है यह विशेष कृपा है। पिछले जन्म में हम जिस जगह छूट गए थे, उसी जगह से आगे बढ़कर गोविंद को पाने का प्रयास करते हैं। भगवान तुम्हेें इस जन्म में सत्संग प्रदान करते हैं उसे विशेष कृपा कहा जाता है। जिस पर भगवान की विशेष कृपा होती है, उसकी भक्ति जाग्रत होती है। भगवान कहते हैं कि जो मेरे भक्त के पास नहीं है, वह भी मैं उसे दे देता हूं और जो है उसकी रक्षा करता हूं। उसके समस्त जन्मों के पापों का हरण कर लेता हूं, उसे गोलोक धाम दे देता हूं। यह भगवान की विशेष कृपा ही है।

राधारानी करती हैं अद्भुत कृपा-

संतश्री ने भगवान की अद्भुत कृपा के बारे में बताते हुए कहा कि यह कृपा भगवान नहीं करते। यह कृपा सर्वेश्वर राधारानी ही करती हैं। भगवान तो कई जन्मों तक घुमा देते है। किशोरीजी से एक बार जिसने भिक्षा मांग ली, उसका वे कल्याण कर देती हैं। अगर गोविंद कृपा नहीं करे तो किशोरीजी की शरण में चले जाना वो अद्भुत कृपा कर देंगी। वे कृपामयी हैं और उनका अवतार ही कृपा के लिए हुआ है।

दान में लगाया धन गोविंद की ओर ले जाता है-

संतश्री ने कहा कि धन की तीन गति है। इनमें पहली है दान। सारे खर्चे से निकालकर जो बच रहा है तो उसे दान अवश्य करें। दूसरी गति भोग है, अपने ऊपर खर्च करें और समाज व परोपकार के लिए भी खर्च करते रहे। धन की तीसरी गति है नाश। जब पैसों से मदिरा, मांस आने लगे, पार्टी होने लगे, कपड़े महंगे और छोटे होने लगे, घर बड़े और विचार छोटे होने लगे तो नाश की ओर कदम है। नाश वाला पैसा नरक की ओर ले जाता है। दान और परोपकार में लगाया धन गोविंद की ओर ले जाता है।

गर्ग परिवार की प्रशंसा भी की-

संतश्री ने मन्नूलाल गर्ग परिवार की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह परिवार 25 वर्षों से धार्मिक आयोजन व कथा करवा रहा है। यह परमार्थ है। मैं 25 साल में सिर्फ दो बार आया हूं, मुझे ना भी बुलाए तो भी प्रशंसा करूंगा। इन्होंने अपने धन, समय व जीवन का सदुपयोग किया है। अगर आप धन, जीवन, समय का सदुपयोग नहीं करेंगे तो यह दुर्भाग्य के समान हैै। कहते भी है कि खाया-पीया अंग लगेगा, दिया दान तो संग लगेगा इसलिए मरने से पहले धन को जंग मत लगने देना। ब्रज धाम में जो प्रियाकांत जू गोशाला का निर्माण करवा रहे हैं, उसमें सभी ने दान दिया है। कोरोना काल में भी दान आता रहा, गोशाला निर्माण में सहयोग करें।

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