देवास। सदगुरु कबीर ने मन की चालाकी को चूर्ण कर दिया। सदगुरु कबीर ने मानव मात्र के लिए मुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया है। सद्गुरु कबीर अनूठे थे। यह विचार सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने कबीर प्रार्थना स्थली प्रताप नगर में गुरु शिष्य संवाद एवं सम्मान अवसर पर कहे। उन्होंने कहा कि काल पुरुष ने 84 लाख योनियों में जीव को शरीर देकर अपने कर्म की बंसी में फंसाया। कर्म की बंसी कपड़ा, चमड़ा, उम्र और दैहिक में फंसाकर जीव को शरीर देकर अपना भोजन बनाया। जीव को दरिद्र व धनवान बनाकर कई तरह से मानसिकता में फंसाकर, मन की चालाकी ने इसको शरीर देकर बहुत परेशानी में खड़ा कर दिया है। जरा, जन्म-मृत्यु और भोजन की व्यवस्थाओं में इसको भुला दिया गया है। बेचारा ढूंढ- ढूंढकर भोजन करता है, तब कोई बलवान आकर उसका भोजन छीन लेता है। इस तरह की व्यवस्थाएं काल पुरुष ने अपने अंश-वंश को भेज करके तैयार की थी। तब कबीर साहब ने मानव को ज्ञान का मार्ग बताकर मन की चालाकी को चूर्ण कर दिया। इसलिए इसे मुक्ति का मार्ग कहा गया है। सद्गुरु कबीर ने मानव मुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया है। इस अवसर पर सद्गुरु मंगल नाम साहेब का मुकेश भाटिया, राजेश ठाकुर सहित साधक संगत ने पुष्पमाला व श्रीफल भेंट कर सम्मान किया।
सदगुरु कबीर ने वाणी, विचारों से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया- सद्गुरु मंगल नाम साहेब

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