देवास। बिना पिंड का पुरुष जिसका शरीर नहीं है। यह बिना पिंड का पुरुष है श्वास और संसार में जितनी भी देह हैं सब नारी है। पुरुष केवल श्वास है। जो विदेही हैं। श्वास जो है स-वर्ग है जो देह विहीन है। श्वास जब देह हीन हो जाती है, तो स्वर्गवास कहलाता है।
यह विचार सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने चूना खदान पर आयोजित चौका आरती, गुरुवाणी पाठ में व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा कि श्वास एक सूखी अमी नदी है। जिसमें पांचों तत्व धरती, आकाश, पृथ्वी, जल, अग्नि सब बह रहे हैं और जो इन तत्त्वों में प्रवेश कर गया। जो सुरगुरु का उपासक होता है, वह ब्रह्मांड को जानने वाला, वह सब घाटों को जानने वाला होता है। जिसने सुर को साध लिया वह सब को साथ लेता है। इसलिए सद्गुरु कबीर ने कहा है कि और किसी घाट पर मत भटको। जो घाट दिखता ही नहीं, जो अपने आप में घट गया। वही घाट इस सांसारिक भवसागर से पार करेगा।
आगे कहा कि गगन आकाश को भी कहते हैं और अपने शरीर में जो कमर में है वह भी गगन है जिसमें भी बरसात होती है। जितनी भी देह है वह सब मां की नाभि कमल से ही बहकर आई है। जितनी भी देह है सब बिना धरती के ही अंकुरित हुई है। सद्गुरु मंगल नाम साहब के सानिध्य में नीरज साहब ने चौका आरती संपन्न कराई। इस दौरान साथ संगत द्वारा सद्गुरु मंगल नाम साहब को नारियल भेंट कर आरती की। यह जानकारी सेवक वीरेंद्र चौहान ने दी।





