संसार में जो व्यक्ति धर्म के लिए जीता है, वही संस्कारवान एवं निष्ठावान- पवन पांडे

सिरोल्या (अमर चौधरी)। जो यह मनुष्य जीवन पाया है और इसे पाकर थोड़ा-थोड़ा जागों, बुराइयों से लड़ने की सामर्थ अपने में पैदा करों। अधर्म के सामने धर्म की रक्षा के लिए खड़े हो जाओ, चाहे लड़ना पड़े, मिटना पड़े, मरना पड़े या मारना ही क्यों ना पड़े धर्म की रक्षा के लिए हम सभी को एक होना पड़ेगा।
ये विचार ग्राम सिरोल्या में श्रीराम कथा के छठवें दिन व्यासपीठ से पं. पवन पांडे ने व्यक्त किए। शबरी के जूठे बेर पर प्रसंग सुनाया। वनवास के दौरान, राम और लक्ष्मण शबरी नामक एक भक्त के आश्रम में रुके। शबरी ने उनके लिए मीठे बेर चुने थे, लेकिन एक-एक बेर चखकर सुनिश्चित करती थी कि वह मीठा है या नहीं। राम ने उसके जूठे बेर खाकर उसकी भक्ति का सम्मान किया। शिव धनुष तोड़ना पर बताते हुए कहा कि राम के स्वयंवर में, ऋषि विश्वामित्र की आज्ञा पर राम ने शिव का धनुष उठाया और उसे तोड़ दिया, जिससे उनका विवाह सीता से हुआ।
धर्म पर बताते हुए कहा कि मृतकों के लिए धर्म नहीं है, जीवितों के लिए धर्म है, जीवित वही है जिसके मन में कुछ संकल्प है। जो धर्म के लिए जीता है वही जीवित है। मनुष्य को राम ने बनाया, वह कैसे अछूत हो सकता है। व्यक्ति अपने कर्म से पहचाना जाता है। उस परमात्मा ने तो एक ही सांचे में मूर्तियां बना दी हैं। यह जो इस धरती पर हिंदू समाज को जातियों में बांट दिया है वह ठीक नहीं है। राष्ट्र को मजबूत करने के लिए सभी का साथ लेना होगा। अंत में व्यासपीठ की महाआरती हुई। एवं महाप्रसादी वितरित की गई।



