सतपुड़ा एकेडमी की तुलजा कुमावत के सवाल पर देवकीनंदन ठाकुर ने कहा आप ईश्वर आराधना करती है यह आपके परिवार के संस्कार है

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– एकेडमी के महाप्रबंधक रायसिंह सैंधव व संचालक भानूप्रतापसिंह ने गुरुदेव का किया अभिनंदन

– शांतिदूत देवकीनंदन ठाकुर से विद्यार्थियों ने किए प्रश्न, समाधान मिला तो उत्साहित विद्यार्थियों ने कहा राधे-राधे

देवास। मां कैलादेवी उत्सव समिति द्वारा बच्चों के लिए आयोजित तनावमुक्त एवं संस्कारयुक्त शिक्षा पर कार्यक्रम रखा गया, जिसमें मुख्य रूप से शांतिदूत धर्मरत्न देवकीनंदन ठाकुर उपस्थित हुए। सर्वप्रथम सतपुड़ा एकेडमी के महाप्रबंधक एवं मप्र पाठ्यपुस्तक निगम के पूर्व अध्यक्ष रायसिंह सैंधव, संचालक भानूप्रतापसिंह सैंधव एवं विद्यार्थियों ने धर्मरत्न श्री ठाकुरजी का पुष्पमाला से स्वागत किया। इस दौरान शहर के सभी स्कूलों के हजारों विद्यार्थी, स्कूली स्टाफ सहित अभिभावकगण उपस्थित थे। इस अवसर पर सतपुड़ा एकेडमी की कक्षा 12वीं की छात्रा तुलजा कुमावत ने गुरुदेव से प्रश्न किया कि मैं अपने अध्ययन की शुरुआत पूजन-अर्चन कर करती हूं, जिस दिन में पूजन नहीं करती हूं मेरा पढ़ाई में मन नहीं लगता और मुझे पूरे दिन बेचैनी रहती है। छात्रा के प्रश्न के उत्तर देते हुए गुरुदेव ने बताया कि आज की पाश्चात्य संस्कृति के दौर में आप ईश्वर की आराधना कर पढ़ाई की शुरुआत करती हो, यह आपके परिवार के संस्कार हैं जो दादा-दादी, माता-पिता से प्राप्त हुए। कक्षा 9वीं की छात्रा हर्षिता पटेल ने कहा कि गुरुदेव आपने कहा कि किसी को मित्र नहीं बनाना चाहिए, लेकिन भगवान कृष्ण एवं सुदामा की मित्रता ने एक इतिहास रचा है। इस पर गुरुदेव ने कहा कि आज इस कलियुग में सब स्वार्थ को पालकर बैठे हैं। कोई भी मित्रता के भाव को ठीक प्रकार से नहीं समझता है। आज जो मित्र बनाए जाते हैं, वहीं हमें पीछे धकेलते हैं। कक्षा 7वीं के छात्र अभिजीत डोंगरिया ने भी प्रश्न किया, जिसका भी गुरुदेव ने सहजता से उत्तर देकर जिज्ञासा का समाधान किया। इस दौरान अनेक छात्र-छात्राओं ने भी गुरुदेव से प्रश्न किए। गुरुदेव ने सभी बच्चों की उन्नति की कामना की। बच्चों ने गुरुदेव की इस क्लास को अमेजिंग बताया। कार्यक्रम का संचालन दिनेश सांखला ने किया।

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