धर्म-अध्यात्म

क्या प्रभु पैसों वालों के है या गरीबों के भी-

– मुझे आपसे भागवत कथा करवाना है
– एक चिकित्सक ने किए गजब के सवाल, देवकीनंदन ठाकुरजी ने दिए सटिक जवाब

देवास। कई स्कूलों में आजकल भ्रमित किया जा रहा है कि भगवान नहीं होते, तिलक मत लगाओ, हाथ में कलावा मत बांधों मेरा सब बच्चों से निवेदन है कि माथे पर तिलक लगाओ, हाथ में कलावा बांधों और मुख में भगवान का नाम जपो। हमारा फंडामेंटल राइट है तिलक लगाना तो हम तिलक अवश्य लगाएंगे। आज आपकी क्लास कैसी रही… आपके काम आने वाली है, आप अपना जीवन बदलोंगे…एक सफल भारतीय नागरिक बनोंगे।

अध्यात्म प्रवक्ता पं. देवकीनंदन ठाकुर ने शुक्रवार को कैलादेवी मंदिर के समीप गोकुल गार्डन में स्कूली बच्चों व युवाओं की अमेजिंग क्लास ली। यूथ टॉक विद ठाकुरजी की इस क्लास में बच्चों ने कई तरह के जटिल सवाल भी किए, जिनका जवाब ठाकुरजी ने सहज-सरल तरीके से बच्चों को दिया। बच्चों से ठाकुरजी ने कहा कि आप इतने समझदार है कि आपको कहानी सुनाने की जरूरत नहीं हैं आप स्वयं अपनी नई कहानी लिखोंगे।

क्या प्रभु पैसों वालों के है या गरीबों के भी-
क्या प्रभु पैसों वालों के है या गरीबों के भी.. यह सवाल ठाकुरजी से एक चिकित्सक ने किया। चिकित्सक ने कहा कि जो 500 या हजार रुपए दक्षिणा देता है, उसे मंच पर नहीं बुलाते और जो 5100 रुपए देता है, उसे कहा जाता है कि मंच पर आ जाओ। किसी को भागवतजी करवाना है तो 15 से 20 लाख रुपए लेते हैं। इस पर ठाकुरजी ने कहा कि मंच की कुछ व्यवस्था बनाई जाती है। टैंट वाले को, माइक वाले को भी तो पेमेंट करना पड़ता है और आपको ऐसा क्यों लगता है कि भगवान सिर्फ मंच पर ही, भगवान तो सर्वत्र व्याप्त है। आप जहां हो वहां पर भी भगवान है। आप डॉक्टर है तो क्या आप सभी का इलाज फ्री कर देते हैं। जब आप फ्री में इलाज कर देते तो हम भी आपके यहां आ जाते भागवत कथा करने।

यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें-
ठाकुरजी ने बच्चों व युवाओं से कहा कि आपकी यह क्लास यूट्यूब पर लाइव भी दिखाई जा रही है। आपने अब तक हमारे चैनल को सब्सक्राइब क्या या नहीं। अगर सब्सक्राइब नहीं किया है तो कर लीजिएं, उसमें ज्ञान की बातें सीखने को मिलेगी।

फोन का घाव आजीवन नहीं भरेगा-
ठाकुरजी ने बच्चों से प्रश्न करते हुए कहा कि सच बताना अगर एक तरफ स्कूल का बैग और एक तरफ आईफोन हो तो क्या लोंगे। अधिकांश बच्चों व युवाओं ने आईफोन के लिए ही हाथ उठाए। ठाकुरजी ने कहा कि कोयले से जले हुए हाथ का घाव तो 10-5 दिन में भर जाएगा, लेकिन फोन जो घाव दे रहा है, वह आजीवन कभी नहीं भरने वाला, वह हमेशा परेशान करते रहेगा। जिस बच्चे ने दो-ढाई साल फोन यूज कर लिया, वह मम्मी-पापा से कहता है कि बोर होता हूं तो करूं क्या। मेरा आपसे एक सवाल है कि क्या फोन यूज करने के बाद परिवार में मन लगता है, इस एज में बोरियत कैसे महसूस हो सकती है।

मेंटल डिस्टरबेंस कर रहा फोन-
अगर 10 मिनट फोन कान में लगाकर बात करें तो कान गरम हो जाते हैं। फोन की किरणें सीधे जाकर माइंड पर इफेक्ट करती है। वैज्ञानिक कहते हैं कि सूर्य की निगेटिव किरणेंं हमारे अंदर कैंसर तक पैदा कर देती है। अगर तेज धूप में भी 15 मिनट खड़े रहेंगे तो भी कान इतने गरम नहीं होंगे, जितने फाेन पर बात करने से। फोन का लगातार प्रयोग मेंटली डिस्टरबेंस कर रहा है। जितना हो सके फोन का इस्तेमाल कम करें। ठाकुरजी ने कहा फोन का इस्तेमाल इसलिए करते हो कि गेम खेल सकें। मेरा कहना है कि खेलना हो तो ग्राउंड पर खेलने जाएं और शारीरिक मेहनत करें ग्राउंड पर। अपना बड़ा भाई मानकर, अंकल मानकर, गुरुजी मानकर या कथावाचक मानकर मेरी बात का पालन जरूर करें।

बच्चे ने कहा घर में रहती है परेशानी-
एक बच्चे ने अपने घर में परेशानी की बात कही तो इस पर ठाकुरजी ने कहा हमारे घरों में क्लेश होना अच्छा नहीं। पढ़ने की उम्र में एक बच्चे को इस प्रकार से पूछना पड़ रहा है। हमारे घर में पूजा-पाठ बंद हो गए है। मेरा परिवार के सभी सदस्यों से आग्रह है कि हनुमान चालीसा का पाठ प्रतिदिन अवश्य करें। शाम को परिवार के सभी सदस्य सामूहिक कीर्तन करें। एक महीना ऐसा करके देखों शांति कभी भंग नहीं होगी।

सच्चा सुख कहां मिलेगा-
एक युवा ने ठाकुरजी से प्रश्न किया कि सच्चा सुख कहां मिलेगा। मेरे दोस्त सेल्फी लेते है और सोशल मीडिया पर अपलोड करते हैं, उन्हें उसमें खुशी होती है। वह आनंद तो टैम्परी होती है। ऐसा कौन सा सुख है, जिसे पाने के बाद सांसारिक सुख की आवश्यकता नहीं होगी। इस पर ठाकुरजी ने कहा कि मनुष्य योनी में ही यह ऑप्शन होता है कि हम भगवान को प्राप्त कर सकते हैं। सवाल तो यह है कि मुझे इस संसार में भेजा क्यों गया है। परमानेंट आत्मीय सुख है और वह त्याग से मिलता है पाने से नहीं। छोटे-छोटे सुखों काे त्याग देंगे तब यह परमानेंट सुख मिलेगा। परमानेंट सुख मिलने पर आप अमेरिका के राष्ट्रपति बनने का आफर भी ठुकरा देंगे।

एग्जाम में प्रेशर कैसे रीलिज करें-
यह सोचना बंद कर दें कि रिजल्ट क्या होगा। रिजल्ट का विचार व्यक्ति को डरा देता है। हम डर जाते हैं तो डर के कारण जो याद किया है, वह भी नहीं लिख पाते। मैं हरेक माता-पिता से कहूंगा कि बच्चों को नंबर लाने का प्रेशर मत डालो। एग्जाम के तीन दिन पहले से जो पढ़ा है, उसका चिंतन-मनन करना शुरू कर दें। आंखें बंद कर सोचाे कि क्या पढ़ा, मैं डरूंगा नहीं परिणाम चाहे कुछ भी हो।

Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button