नशे की अंधेरी राह पर भटके युवाओं के जीवन में उजाला कर रहा अमलतास का नशा मुक्ति केंद्र

– छिपकली पाउडर, पेट्रोल पीने, स्लोचन सूंघने जैसे घातक नशे के शिकार आते हैं केंद्र पर, सफल इलाज से कम समय में छोड़ते हैं नशे की लत
देवास। जब नशा युवाओं की नसों में नहीं, बल्कि उनके सपनों और परिवारों के भविष्य में जहर घोलने लगता है, तब कोई अस्पताल नहीं, एक उम्मीद की जरूरत होती है। ऐसी ही उम्मीद बनकर उभरा है अमलतास अस्पताल का नशा मुक्ति केंद्र, जहां न जाने कितने टूटे हुए जीवन फिर से संवर रहे हैं।
यहां आकर युवा सिर्फ नशे से मुक्त नहीं हो रहे, बल्कि खुद को दोबारा पहचानने, संवारने और समाज की मुख्य धारा में लौटने की शक्ति पा रहे हैं।
नशे की गिरफ्त में युवा, घरों की खुशियां छीन रहा ‘जहर’-
आज का युवा वर्ग तेजी से शराब, गांजा, भांग, चरस, स्मैक जैसे खतरनाक नशों की तरफ बढ़ रहा है। सिर्फ इतना ही नहीं कुछ युवक ऐसे नशों के शिकार हो चुके हैं जिन्हें सुनकर भी मन विचलित हो जाए। यहां आया कोई पेट्रोल सूंघने व पीने की लत से जूझ रहा था, कोई छिपकली का पाउडर निगल रहा था, तो कोई पंचर चिपकाने वाले “स्लोचन” के नशे में अपना शरीर खोखला कर चुका था।
ये नशे न सिर्फ शरीर को नष्ट कर रहे थे, बल्कि परिवारों की नींव हिला रहे थे।
अमलतास का नशा मुक्ति केंद्र, जहां टूटते जीवन फिर जुड़ते हैं-
फील्ड ऑफिसर प्रकाश राठौर और काउंसलर ज्योति योगी बताते हैं कि उनके पास ऐसे युवक भी आते हैं जो नशे की अंतिम सीमा पर पहुंच चुके होते हैं।
एक युवा जो आधा लीटर पेट्रोल तक पी जाता था, आज पूरी तरह स्वस्थ होकर समाज की मुख्य धारा में शामिल है।
एक युवक छिपकली का पाउडर सेवन करता था, आज वह सम्मानजनक नौकरी कर रहा है।
एक और युवक स्लोचन (ट्यूब चिपकाने में उपयोग होने वाला केमिकल) का नशा करने से जिंदगी खो रहा था, आज सम्मानजनक जीवन जी रहा है।
फील्ड आफिसर राठौर कहते हैं जब यहां से सेहतमंद होकर जाते हैं तो इनकी आंखों में कृतज्ञता है… एक आशा है… एक नया विश्वास है झलकता है। वे जिंदगी को दोबारा शुरू करते हैं।
उपचार नहीं जीवन को फिर से जीने का अवसर दिया जाता है-
नशा मुक्ति केंद्र की दिनचर्या सुबह 7 बजे योग से शुरू होती है। यहां युवाओं को सिर्फ दवाइयां नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला सिखाई जाती है।
दैनिक गतिविधियां:
– योग, ध्यान और कसरत
– आउटडोर व इंडोर खेल
– पेंटिंग व क्राफ्ट
– सिलाई प्रशिक्षण
– मेडिकल स्टोर के लिए छोटे लिफाफे बनाना जैसे
कौशल प्रशिक्षण ताकि बाहर जाकर रोजगार पा सकें।
यहां का केंद्र 50 बेड का है। फिलहाल में 40-45 युवक रहते हैं, जिनका विशेष डाइट चार्ट बनाया गया है। डॉ. समीर देसाई, डॉ. विनीत अग्रवाल, डॉ. सागर मुद्गल, डॉ. आशुतोष भटेले, डॉ. खालिद पटेल, डॉ. सूर्यप्रताप सिंह की टीम मरीजों को सेहतमंद बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। यहां 12 डॉक्टरों और 8 नर्सिंग स्टाफ की टीम हर समय उपलब्ध है।

उग्र मरीजों को भी संभालती अमलतास की टीम-
कई मरीज ऐसे होते हैं जिनका रवैया शुरुआत में बेहद उग्र होता है। ऐसे मामलों में एंबुलेंस, डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ और गार्ड खुद जाकर मरीज को सुरक्षित केंद्र तक लाते हैं।
उपचार आयुष्मान योजना में भी किया जाता है, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को राहत मिलती है।
6 माह तक फॉलो-अप ताकि कोई दोबारा न टूटे-
छुट्टी के बाद भी नशामुक्ति केंद्र की टीम मरीजों को नहीं छोड़ती। लगातार 6 महीने तक संपर्क में रहकर उनकी दिनचर्या, मानसिक स्थिति और समाज में सामंजस्य पर नजर रखी जाती है। यही कारण है कि यहां से निकलने के बाद अधिकांश युवा फिर कभी नशा की ओर नहीं लौटते।
नई जिंदगी की शुरुआत का द्वार है केंद्र-
अमलतास अस्पताल के चैयरमैन मयंकराज सिंह भदौरिया का कहना है, कि नशा मुक्ति केंद्र सिर्फ इलाज का स्थान नहीं, बल्कि नई जिंदगी की शुरुआत का द्वार है। हमारा उद्देश्य हर उस युवा को संभालना है जो नशे की अंधेरी राह में भटक गया है। यहां हम दवा से ज्यादा भरोसा, सहयोग और सम्मान देते हैं। अमलतास हमेशा समाज के साथ, हर जरूरतमंद के साथ खड़ा है।
समाज के लिए उम्मीद का सबसे बड़ा केंद्र-
नशा समाज की जड़ों को कमजोर कर रहा है। परिवार टूट रहे हैं, सपने बिखर रहे हैं और युवा जीवन की राह से भटक रहे हैं। ऐसे समय में अमलतास अस्पताल का यह प्रयास सिर्फ चिकित्सा नहीं एक सामाजिक आंदोलन है।
यहां से स्वस्थ होकर जाने वाले युवा समाज में फिर से सम्मान पा रहे हैं, नौकरी कर रहे हैं और अपने परिवार के सपनों को मजबूती दे रहे हैं।



