धर्म-अध्यात्म

हरतालिका तीज व्रत की उपासना कठिन, किंतु है प्रभावशाली – पं. उपाध्याय

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बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। आधुनिकता की इस दौड़ में सनातन धर्म और परंपरा का निर्वहन कई रूप में मानव जीवन में सहयोग करता है।

इस परंपरा में सौभाग्य की कामना और पति की लंबी आयु को लेकर महिलाओं ने हरताली तीज का व्रत रखते हुए दिनभर अन्न, जल ग्रहण नहीं किया। कुंवारी युवतीयों ने भी अच्छे पति की कामना को लेकर भगवान शिव की उपासना की। हरताली तीज का 24 घंटे का निर्जल व्रत मंगलवार को किया। ईमानदारी से व्रत करने पर निश्चित ईश्वर का आशीर्वाद और फल मिलता है।

उक्त बातें हरतालिका तीज व्रत पर उपवास धारक महिलाओं के बीच पं. अंतिम उपाध्याय व गोवर्धन दास बैरागी ने कहते हुए बताया, कि सनातन धर्म के हर पर्व को मनाना चाहिए। ईश्वर साक्षात है, उसे कभी भूलना नहीं चाहिए। बेहरी में हरतालिका तीज व्रत हर्ष उल्लास के साथ मनाया गया। सैकड़ों महिलाओं ने इस व्रत को धारण किया। मां कात्यानी के मंदिर, राधे कृष्ण मंदिर, श्री राम मंदिर में पूजा-अर्चना करते हुए आराध्य देव शिव की पूजा की गई।

इस दौरान महिलाओं ने कठिन व्रत रखा और अनेक प्रकार की औषधीय पौधे की पत्तियों व बालू रेत से बनाए भगवान शंकर की पूजा-अर्चना देर रात तक की। सुबह समीप की नदी गुनेरा पर जाकर व्रत का समापन किया।

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