किचन गार्डन से सालभर आर्गेनिक सब्जियां

शिक्षक ने अपने घर की छत को किचन गार्डन में किया परिवर्तित
देवास। शहर के आवास नगर में रहने वाले शिक्षक हुकम सिंह चावड़ा ने अपने घर की छत को हरा-भरा किचन गार्डन में बदलकर मिसाल कायम की है। जहां आमतौर पर छत खाली पड़ी रहती है, वहीं चावड़ा ने इसे सब्जियों से भरकर न सिर्फ अपने घर को आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि आसपास के लोगों को भी जैविक खेती की प्रेरणा दी है।
आज जब शहरों में जगह की कमी और बाजार की सब्जियों पर रसायनों का खतरा बढ़ रहा है, ऐसे में घर की छत पर यह हरा-भरा किचन गार्डन हर किसी के लिए प्रेरणादायक उदाहरण है।
श्री चावड़ा सुबह का मात्र आधा घंटा वे अपने पौधों को संवारने में लगाते हैं और यही नियमित मेहनत उनकी छत को हरी-भरी रखती है। इन दिनों गिलकी, करेला, पालक, लौकी, टमाटर, मिर्च और हरा धनिया जैसी मौसमी सब्जियां यहां लहलहा रही हैं। खास बात यह है कि उन्होंने पौधे सिर्फ गमलों में ही नहीं बल्कि टूटे मटकों, ड्रमों और पुराने ऑइल डिब्बों में भी उगाए हैं। इस तरह उन्होंने बेकार पड़ी चीजों का भी सुंदर उपयोग किया है।

श्री चावड़ा बताते हैं, कि सीजन के हिसाब से सालभर नई-नई सब्जियां उगती रहती हैं। पैदावार इतनी अधिक हो जाती है कि परिवार की खपत से ज्यादा बची सब्जियां वे पड़ोसियों और परिचितों को बांट देते हैं। उनका मानना है कि “पौधों को रोज थोड़ा समय और प्यार मिले तो वे दोगुना लौटाते हैं।”

किचन गार्डन से घर को मिल रही ताज़ी और स्वास्थ्यवर्धक सब्जियां परिवार के लिए वरदान हैं। यही नहीं, उनका यह प्रयास छात्रों और पड़ोसियों को भी छोटे स्थान में खेती करने की प्रेरणा दे रहा है।
शिक्षक होने के नाते वे विद्यार्थियों को भी बताते हैं कि बालकनी या छत पर गमलों से शुरुआत करके हर कोई अपनी थाली में ऑर्गेनिक सब्जियां ला सकता है। उनके अनुसार “किचन गार्डन हमें स्वास्थ्य, आत्मनिर्भरता और खुशी तीनों देता है।”



