दो कमरों में सिमटा भविष्य: बीडगांव प्राथमिक स्कूल की जमीनी हकीकत

107 बच्चों की पढ़ाई दो कक्षों में, बरसात में बढ़ जाती है समस्या, 20 साल से अधूरी मांग
बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। बड़े-बड़े दावों और योजनाओं की चमकदार तस्वीरों के पीछे गांवों के कई सरकारी स्कूल आज भी बुनियादी सुविधाओं को तरस रहे हैं।
देवास जिले की ग्राम पंचायत बेहरी के बीडगांव प्राथमिक विद्यालय की हालत कुछ ऐसी ही कहानी बयां कर रही है। जहां 107 बच्चों को आज भी दो ही कमरों में शिक्षा दी जा रही है। तीन के बजाय चार-पांच बच्चे एक बेंच पर बैठाए जाते हैं और बरसात में तो हालात इतने बदतर हो जाते हैं कि बच्चों को बरामदे या जमीन पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है। विद्युत कनेक्शन न होने से अंधेरे में ही सीखने का संघर्ष चलता है।
वर्ष 1998 में स्थापित इस विद्यालय में कभी 54 विद्यार्थी थे, और अब संख्या बढ़कर 107 हो चुकी है। लेकिन हालात आज भी वही हैं, जैसे दो दशक पहले थे। वर्ष 2004 में बना दो कमरों का भवन आज तक अंतिम सुविधा साबित हुआ है। इसके बाद ना कोई निर्माण हुआ, ना ही सुविधाएं जुड़ीं।
विद्यालय के पूर्व प्रधानाध्यापक जुगल किशोर अमरावडिया बताते हैं कि पालक शिक्षक संघ द्वारा बार-बार अतिरिक्त कक्षों की मांग की गई। ज्ञापन दिए गए, लेकिन निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका। यहां के छात्र कई बार नवोदय विद्यालय में चयनित हुए हैं और एक छात्र एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है, बावजूद इसके यह विद्यालय उपेक्षा का शिकार बना हुआ है।
वर्तमान में विद्यालय के प्रधानाध्यापक पवन कुमार पाचौरिया ने बताया कि रोजाना 90 प्रतिशत से अधिक छात्र उपस्थित रहते हैं, लेकिन केवल दो कमरों में इतनी बड़ी संख्या को समेटना अत्यंत कठिन है। बरसात में समस्या और भी गंभीर हो जाती है, जब पानी भरने से परिसर गीला हो जाता है और बच्चों को बरामदे में या नीचे बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है।
वहीं, विद्यालय में बिजली का कनेक्शन भी नहीं है, जिससे ऑनलाइन कार्यों के साथ-साथ अंदरूनी कक्षों में रोशनी की भारी कमी बनी रहती है। दो बार विद्युत कनेक्शन हेतु आवेदन दिए जा चुके हैं, लेकिन आज तक समाधान नहीं हुआ।



