धर्म-अध्यात्म

ईश्वर की उपासना करो, वह तुम्हें भवसागर के जंगल में भटकने से मुक्त कर देगा- सद्गुरु मंगल नाम साहेब

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देवास। ईश्वर का जो सच्चा साधक होता है, वह निर्विकार होता है। जो ईश्वर का अनुयाई है, उपासक है उसके पास विकार पहुंच ही नहीं सकते। क्योंकि विकारों की जगह नहीं होती ईश्वर के पास। ईश्वर का मतलब स्वर है जो सारे जीव चराचर का स्वामी है। सारे ऐश्वर्यों का स्वामी है। अगर ईश्वर नहीं तो ऐश्वर्य नहीं मिल सकता। ईश्वर सदा निकट से भी निकट है। जो ईश्वर को नहीं समझ पाया, ईश्वर की जिसे अनुभूति नहीं हुई, वह इस भव के जंगल में भटक रहा है।

यह विचार सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने सदगुरु कबीर सर्वहारा प्रार्थना स्थलीय सेवा समिति मंगल मार्ग टेकरी द्वारा आयोजित गुरुवाणी पाठ, गुरुशिष्य चर्चा में व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा कि मनुष्य बार-बार अपनी इच्छा रूपी भवन बनाता है और मर जाता है क्योंकि इच्छाएं अनंत हैं, इच्छाएं कभी पूरी नहीं हो सकती। इसलिए इच्छाओं के पीछे मत भागो। जो अपने पास है उसका सदुपयोग करो और उसी में संतोष करो।

उन्होंने कहा, कि मनुष्य धन बटोरने में लगा हुआ है। पद, पदार्थ, धन, वैभव में मत उलझो क्योंकि इनसे सुख मिलने वाला नहीं है। यह सब नाशवान है। ईश्वर की उपासना करो। जो तुम्हें इस बार-बार जन्म मरण के चक्र से, इस भवसागर के जंगल में भटकने से मुक्त कर देगा। इस दौरान मंगल नाम साहब को साध संगत द्वारा नारियल भेंट कर आरती की गई। यह जानकारी सेवक वीरेंद्र चौहान ने दी।

 

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