धर्म-अध्यात्म

मन के दुर्गणों को हटाए बिना नहीं मिलती है मुक्ति- मंगलनाम साहेब

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देवास। सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने अपने प्रवचन में कहा कि अगर इंसान संसार की पीड़ाओं से मुक्त होना चाहता है, तो उसे पहले अंदर छिपे हुए अहंकार, मोह और माया जैसे पर्दों को हटाना होगा। उन्होंने कहा कि सत्य को जानने के लिए मन और विचारों के सभी पर्दे हटाने पड़ते हैं, क्योंकि सत्य कभी छुपा नहीं रहता।

सद्गुरु ने समझाया कि जब तक मन में छल, कपट और बुरे विचारों का पर्दा है, तब तक मनुष्य सत्य को पहचान नहीं पाता। जैसे एक नर्स मां के पेट में बच्चे का दर्द पर्दा हटाए बिना दूर नहीं कर सकती, उसी तरह जब तक मन का पर्दा नहीं हटेगा, तब तक सद्गुरु भी मनुष्य की पीड़ा दूर नहीं कर सकते।

उन्होंने कहा कि पर्दाहीन मनुष्य ही जीवन का सच्चा अर्थ समझ पाता है, और नया, जागृत जीवन प्राप्त करता है। यदि मन को सद्गुरु के प्रति समर्पित कर दिया जाए, तब ही वास्तविक परिवर्तन आता है।

सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने आगे कहा, कि मन में बसे अहंकार और मोह के हटते ही सत्य की पहचान होने लगती है। मन के भीतर का प्रकाश तभी प्रकट होता है जब इंसान दिखावा और भय से ऊपर उठ जाता है।

उन्होंने कहा कि जिस चर्चा और मार्ग में कोई पर्दा नहीं होता, वही इंसान को मुक्ति की ओर ले जाता है, लेकिन साथ ही यह भी जरूरी है कि पर्दा संयम के साथ हटाया जाए, वरना इंसान जीवन में भटक सकता है।

कार्यक्रम के अंत में साध संगत ने सद्गुरु मंगल नाम साहेब का सम्मान किया और नारियल भेंट कर उनकी आरती की। कार्यक्रम की जानकारी सेवक वीरेंद्र चौहान ने दी।

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