• Thu. Aug 21st, 2025

    अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष: मानकुंवर बाई ने संघर्ष, संकल्प और सफलता से बढ़ाया जिले का मान

    ByNews Desk

    Mar 7, 2025
    dewas news
    Share
    • पति के निधन के बाद भी नहीं हारी हिम्मत, अकेले संभाली खेती और समाजसेवा में भी बनी मिसाल

    देवास। जिले के ग्राम छोटी चुरलाय की एक साधारण महिला मानकुंवर बाई राजपूत ने असाधारण सफलता की कहानी लिखी है। 24 साल पहले, जब उनके पति भारत सिंह राजपूत का निधन हुआ, तो गम के साथ जिम्मेदारियों का पहाड़ उन पर टूट पड़ा। दो बच्चों की परवरिश, घर की देखभाल और जीवन की कठिनाइयां, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

    जहां लोग संघर्षों के सामने घुटने टेक देते हैं, वहीं मानकुंवर बाई ने परिस्थितियों को अपने हौसले के आगे झुका दिया।उन्होंने खेती को न केवल अपनाया, बल्कि उसे आधुनिक तकनीकों से जोड़कर खुद को एक सफल महिला किसान के रूप में स्थापित किया।

    mankuvar bai

    जब पूरी दुनिया बदली, लेकिन इरादे अडिग रहे-

    पति के जाने के बाद, गांव और समाज की सोच यह थी, कि अकेली महिला खेती नहीं कर सकती, लेकिन मानकुंवर बाई ने इस सोच को गलत साबित कर दिखाया। उन्होंने जैविक खेती को अपनाया और धीरे-धीरे मॉडल खेती की दिशा में भी कदम बढ़ाए।

    शुरुआती दौर में आईं कठिनाइयां-

    जब इरादे फौलादी हों, तो रास्ते खुद बन जाते हैं। मानकुंवर बाई ने दिन-रात मेहनत की और अपनी फसल को नई तकनीकों से जोड़ा। उन्होंने जैविक तरीकों से खेती करके न केवल अपनी उपज बढ़ाई, बल्कि मिट्टी और पर्यावरण को भी संरक्षित किया।

    जब मेहनत ने अपना रंग दिखाया-

    उनकी मेहनत बेकार नहीं गई। जब उनकी खेती की चर्चा दूर-दूर तक पहुंची, तो प्रदेश और जिला स्तर पर उन्हें सम्मानित किया जाने लगा। उनकी इस उपलब्धि को देखते हुए, मई 2015 में उन्हें “राज्य स्तरीय सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार” दिया गया, जिसमें मुख्यमंत्री ने उन्हें 50,000 रुपए और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

    पुरस्कारों की झड़ी:

    – जून 2015: मुख्यमंत्री द्वारा भोपाल में विशेष सम्मान

    – 19 अगस्त 2015 में विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर में “राज्य स्तरीय सर्वोत्तम पुरस्कार”

    – उज्जैन में “फर्टिलाइजर राज्यस्तरीय श्रेष्ठ किसान अवार्ड”

    – जिला स्तर पर भी कई पुरस्कारों से नवाजी गईं। इतना ही नहीं, दूरदर्शन (भोपाल और दिल्ली) पर उनके इंटरव्यू प्रसारित हुए, जहां उन्होंने अपने अनुभव देशभर के किसानों के साथ साझा किए।

    सिर्फ खेती ही नहीं, समाज सेवा में भी अग्रणी-

    खेती में सफलता हासिल करने के बाद, उन्होंने समाजसेवा को भी अपने जीवन का हिस्सा बना लिया। गांव के गरीब बच्चों को अपने खर्चे पर गणवेश (स्कूली ड्रेस) और जूते-चप्पल वितरित किए। स्कूलों को आवश्यक सामग्री देकर बच्चों की शिक्षा में योगदान दिया। कोरोना महामारी के दौरान जरूरतमंदों को अनाज, खाद्य सामग्री, मास्क और सैनिटाइज़र का नि:शुल्क वितरण किया। प्रधानमंत्री राहत कोष में भी आर्थिक सहायता प्रदान की। माता टेकरी के अन्न क्षेत्र में भी दान किया।

    Amaltas hospital

    पूरे जिले को गौरवान्वित किया-

    मानकुंवर बाई आज केवल एक सफल महिला किसान नहीं हैं, बल्कि वे उन हजारों महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं, जो विपरीत परिस्थितियों में भी अपने सपनों को साकार करना चाहती हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी मुश्किल इंसान को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती। उनकी यह कहानी सिर्फ खेती की सफलता की नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता, संघर्ष और समाजसेवा की भी कहानी है।