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माता-पिता बच्चों को शुभ संस्कार दें

ByNews Desk

Mar 7, 2025
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– ग्राम बेहरी में अम्बेमाता चौक पर आयोजित रात्रिकालीन आध्यात्मिक समारोह में सतपाल महाराज की शिष्या ने कहा

बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। जब बड़े-बुजुर्ग स्वयं मनमाना आचरण करते हैं और बच्चों को नैतिकता व अनुशासन का पाठ पढ़ाते हैं, तो इसका बच्चों पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ता। उन्हें लगता है कि जब बड़े स्वयं ऐसा व्यवहार-आचरण कर रहे हैं, तो वह क्यों न करें? बिना आचरण के दिया गया उपदेश निष्प्रभावी रहता है। यदि घर-परिवार व विद्यालय में बड़े लोग अपेक्षा करते हों कि बच्चे व विद्यार्थी उनकी आज्ञा का पालन करें, तो पहले उन्हें स्वयं उस अनुशासन का पालन करना होगा, सिखाए जा रहे नैतिक मानदंडों की न्यूनतम कसौटी पर स्वयं खरा उतरना होगा, तभी बच्चों से अनुशासन की आशा की जा सकती है। अगर हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे नशा मुक्त जीवन जिए तो पहले हमें शराब, तंबाकू-गुटखा आदि नशों को त्यागना पड़ेगा।

उक्त प्रेरणादाई विचार अखिल भारतीय सामाजिक व आध्यात्मिक संस्था “मानव उत्थान सेवा समिति” द्वारा ग्राम बेहरी में अंबे माता चौक पर आयोजित रात्रिकालीन सत्संग समारोह में सतपाल महाराज की शिष्या प्रभावती जी ने व्यक्त किए। उपस्थित अध्यात्म प्रेमियों को संबोधित करते हुए कहा जब बार-बार बड़े वायदा करते हैं, लेकिन उसको पूरा नहीं करते, तो बच्चों के मन में एक अविश्वास पनपता है। जिसके कारण बच्चों का बाल मन दुविधा में पड़ जाता है और उन्हें सही व गलत को समझने में कठिनाई होती है। बड़े ऐसी स्थिति में स्वयं ही बच्चों की नजरों में अपना अवमूल्यन कर रहे होते हैं, जो बाद में अपेक्षित आदर-सत्कार न मिल पाने का कारण बनता है, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। अतः समय रहते ऐसी चूक को ठीक कर लें और बच्चों से जो वायदा करें, उसे निभाने का भरसक प्रयास करें। आपका ईमानदार प्रयास भी बच्चों को आश्वस्त करेगा कि आप अपने वचन के प्रति ईमानदार हैं। ऐसे में बड़ों की ईमानदारी का संस्कार नई पीढ़ी में सहज रूप से हस्तांतरित हो रहा होगा।

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इस मौके पर संत शारदा जी ने ज्ञान-भक्ति, वैराग्य से ओतप्रोत मधुर भजन प्रस्तुत करते हुए कहा मन को अपना साथी बना लेने से जीवन सुखी, संतुष्ट एवं आनंदित हो जाता है। धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति का लक्ष्य पूर्ण हो जाता है। मनुष्य जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम हो जाता है। अतः मन की सुस्ती, गंदगी, कुसंस्कार को दूर कर इसमें शुभ संस्कार पृविष्ट कराने के लिए मनुष्य को नित्य जप-तप, सत्संग, सत्कर्म, धर्म, ईश्वर उपासना और स्वाध्याय करना चाहिए।

कार्यक्रम की शुरुआत में समिति के सरपंच प्रतिनिधि लक्ष्मणसिंह परिहार, अंबापानी सरपंच विराम भूसारिया, राजेंद्र टोंडर, विक्रमसिंह दांगी, शिवचरण भाटोनिया, रामचंद्र नाकेदार, संतोष भोंदिया, शिक्षक परसराम पिंडोरीया, हरि नारायण पाटीदार, जुगल पाटीदार, शिक्षक प्रेमनारायण पाटीदार, गोवर्धन लाल पाटीदार, बद्रीलाल पाटीदार, प्रेम सिंह दांगी, शांतिलाल पाटीदार, बागली की शोभा गोस्वामी, प्रमिला तंवर, राधा तंवर, मीना लोधी, संगीता गोस्वामी, किरण देवड़ा, मंजू यादव आदि ने पुष्पमालाओं से संतों का स्वागत किया।
भारत तिब्बत समन्वय संघ मालवा प्रांत की महिला इकाई उपाध्यक्ष शोभा गोस्वामी ने कैलाश मानसरोवर मुक्ति का महासंकल्प सभी को दिलाया।

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