- प्रति बीघा कम हुआ उत्पादन, इधर मजदूरों ने बढ़ाई मजदूरी, आर्थिक संकट के दौर में छोटे किसान
बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। बाजार में महंगाई को लेकर शोर मच रहा है। कुछ ही महीनों में लगभग हर वस्तु के दाम कई गुना तक बढ़ गए हैं। अब बात करें किसानों की उपज की तो इनके भाव वर्षों से लगभग एक जैसे ही बने हुए हैं। कभी अंतरराष्ट्रीय मार्केट को देखते हुए कुछ दिनों के लिए उपज के भाव बढ़ते हैं और फिर अचानक से धरातल पर आ जाते हैं। भाव की इस प्रकार गिरावट ने छोटे किसानों को आर्थिक रूप से तोड़कर रख दिया है। हालात तो यह है कि इन दिनों सोयाबीन की कटाई और उसे साफ करवाने के लिए छोटे किसानों के पास रुपए नहीं है।
इस बार अधिक बारिश के चलते सोयाबीन का उत्पादन प्रभावित हुआ है। प्रति बीघा दो से ढाई क्विंटल सोयाबीन निकल रही है। छोटे किसानों के सामने यह दौर आर्थिक संकट का है। इनके पास जमीन कम है और उसमें भी उत्पादन ऊंट के मुंह में जीरे के समान हुआ। खेत से कटाई के बाद सोयाबीन का दाना निकालने का काम भी ये स्वयं अपने परिवार के सदस्यों के साथ कर रहे हैं। क्षेत्र के अधिकतर किसान आदावासी गरीब तबके से आते हैं। सोयाबीन को एक साथ निकालने के बजाए आवश्यकता अनुरूप खर्च के हिसाब से कूट-कूटकर निकाल रहे हैं। 20-25 किलो सोयाबीन को बेचकर अपनी आवश्यकता की पूर्ति कर रहे हैं।
मशीन का किराया नहीं दे सकते-
छोटे किसान रमेश सोलंकी, मोती बागवान एवं गंगाराम बछानिया ने बताया कि हमारे पूर्वज बैलों से दावन करते थे। बैल अपने पैरों से अनाज काे कुचलते थे और स्वस्थ्य दाना बाहर निकल आता था, लेकिन हमारे पास अब बैल भी नहीं है। अगर ट्रैक्टर या मशीन का उपयोग करते हैं तो प्रति बोरा 250 से 300 रुपए किराया हो जाता है। इधर ट्रैक्टर मालिक कहते हैं कि छोटे किसानों के पास अनाज कम मात्रा में होता है और रास्ता भी खराब रहता है, दूरी अधिक होने से डीजल खर्च ज्यादा होता है।
भाव में कोई विशेष वृद्धि नहीं-
किसान माखन पाटीदार बताया कि आज से 20 वर्ष पूर्व सोयाबीन का बिक्री मूल्य 2000 से 2500 रुपए तक था। इतने वर्षों बाद भी इसके भाव में विशेष वृद्धि नहीं हो पाई। इस बीच सोयाबीन उत्पादन में लागत कई गुना बढ़ गई। यूरिया की थैली 280 से 330 रुपए, एमपी डीएपी 1700 रुपए बोरी आ रही है। मजदूर प्रतिदिन 400 रुपए तक मजदूरी ले रहे हैं। जो साेयाबीन कृषि उपज मंडियों में 3000 से 4300 रुपए में व्यापारी वर्ग किसानों से खरीद रहे हैं, उसी सोयाबीन के बीज 10 हजार रुपए क्विंटल तक किसानों को खरीदना पड़ते हैं।
कृषि कार्य में महंगाई बढ़ी-
भारतीय किसान संघ के पूर्व जिला अध्यक्ष गोवर्धन पाटीदार का कहना है कि कृषि कार्य में महंगाई बढ़ गई है और उपज की कीमत लागत के अनुरूप नहीं मिलती। खेती में लाभ नहीं मिलने से कई किसानों ने अपनी खेती को मुनाफे से दे दिया और वे अन्य कामकाज में लग गए। बागली क्षेत्र में ही इस बार कई किसानों ने पानी अधिक गिर जाने से बोवनी नहीं की । जब तक किसानों को लागत के अनुरूप लाभ नहीं मिलेगा, तब तक उसे घाटा ही होगा।
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