धर्म-अध्यात्म

शीतला सप्तमी पर ब्रह्म मुहूर्त में पूजन-अर्चन कर लगाया ठंडे भोजन का भोग

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भौंरासा (मनोज शुक्ला)। चैत्र मास कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को आज पारंपरिक शीतला सप्तमी का पर्व मनाया गया। हर घर घर में इस पूजन से एक दिन पूर्व रात्रि में भोजन बनाया गया।

मां शीतला को पूजन के बाद ठंडे भोजन का भोग लगाया गया। ब्रह्म मुहूर्त में महिलाएं स्नान कर मां शीतला के मंदिर पहुंची। सुख-समृद्धि और बीमारियों से परिजन की रक्षा के लिए पूजन किया।

नगर में पांच स्थानों पर शीतला माता का पूजन किया गया। प्राचीन शीतला माता स्थान माली मोहल्ला में है। यहां के पुजारी प्रजापति परिवार से आते हैं। पुजारी अनिल प्रजापति ने बताया, कि यहां पर हमारा परिवार पिछले कई सालों से पूजा करता आ रहा है। प्राचीन शीतला माता स्थान पर
महिलाओं ने पूजन-अर्चन किया।

पूजन के लिए आईं ज्योति वर्मा ने बताया, कि छोटे बच्चों को माताजी निकलती है तो उसे शांत करने के लिए शीतला माता से कामना की जाती है। ऐसा करने पर वह शांति रूप से बच्चों को परेशान ना करते हुए निकल जाती हैं।

महिलाओं ने बताया, कि सुख-समृद्धि के लिए चने एवं गेहूं गलाकर यहां पर प्रतिक रूप से खेत बनाकर बोनी की जाती है, ताकि वर्षभर घर में अनाज और धन की कमी ना रहे।

नगर पुरोहित पं. मनोज जोशी के अनुसार होली के बाद होली की तपन को ठंडा करने के लिए शीतला सप्तमी पर्व आता है।

मान्यता अनुसार शीतला सप्तमी पर होली दहन स्थल पर भी जल व फूल चढ़ाया जाता है। पहले यह जल शीतला माता मंदिर पर चढ़ाया जाता है। शेष बचे जल को होली दहन स्थल पर डाला जाता है ताकि होली माता का क्रोध भी शांत हो जाए और लोगों पर भी प्रसन्न रहें।

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इस अवसर पर नगर परसाई व नगर परिषद अध्यक्ष संजय जोशी, उपाध्यक्ष जयसिंह राणा, नगर वसूली पटेल जसवंतसिंह राजपूत, मुकेश कुमावत, अश्विन जायसवाल आदि ने भी नगर की सुख-शांति के लिए शीतला माता मंदिर में पूजन किया।

मां शीतला की महत्वता का उल्लेख सकंद पुराण में है। मां का स्वरूप अत्यंत शीतल और लोगों के कष्टों को हरने वाला है। माना जाता है, कि शीतला माता चेचक, खसरा और अन्य छुआछूत की बीमारियों से बचाती है। मां के पूजन से बड़ी माता, छोटी माता नामक बीमारी नहीं होती है।

मान्यता अनुसार माता का पूजन ठंडे समय में सूर्यउदय के पूर्व किया जाता है और ठंडे व्यंजनों का ही भोग लगाया जाता है। आज के दिन घरों में चूल्हा बंद रहता है और अग्नि प्रज्वलित नहीं की जाती है।

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