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जीवन में जितनी भी अनुभूतियां, उनमें भक्ति की अनुभूति सर्वश्रेष्ठ

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– भक्ति पथ नहीं, बल्कि लक्ष्य है, जिसे हमें प्राप्त करना है
देवास। आनंद मार्ग प्रचारक संघ के हेमेन्द्र निगम ने बताया कि 1 जनवरी 2023 को आनंद मार्ग के विश्वस्तरीय धर्म महासम्मेलन में भाग लेने के लिए मध्यप्रदेश के डॉ अशोक शर्मा, अशोक वर्मा, बालकृष्ण माहेश्वरी, पीएल लबाना, गोपाल कुशवाह आदि सहित देवास, उज्जैन, इंदौर, रेहटी, होशंगाबाद, सीहोर, बालाघाट आदि जिलों के सैकड़ों आनंदमार्गी आनंद नगर पहुंचे।

नववर्ष की पूर्व संध्या पर सेंट्रल जागृति हॉल में संस्था के महासचिव आचार्य चितस्वरूपानंद अवधूत ने जीवन का लक्ष्य विषय पर कहा कि शास्त्रों में तो मोक्ष प्राप्ति के तीन मार्ग बताए गए हैं- ज्ञान, कर्म और भक्ति। परंतु मार्ग गुरू बाबा श्रीश्री आनंदमूर्ति जी ने इसका खंडन करते हुए कहा कि भक्ति पथ नहीं है बल्कि भक्ति लक्ष्य है, जिसे हमें प्राप्त करना है। साधारणत: लोग ज्ञान और कर्म के साथ भक्ति को भी पथ या मार्ग ही मानते हैं, परंतु ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि जीवन में जितनी भी अनुभूतियां होती है उनमें भक्ति की अनुभूति सर्वश्रेष्ठ है। ज्ञान मार्ग और कर्म मार्ग के माध्यम से मनुष्य भक्ति में प्रतिष्ठित होते हैं।

बाबा कहते हैं कि भक्ति मिल गई तो सब कुछ मिल गया, तब और कुछ प्राप्त करने को कुछ नहीं बच जाता। मोक्ष प्राप्ति के उपाय में भक्ति श्रेष्ठ है। भक्ति आ जाने पर मोक्ष यूं ही प्राप्त हो जाता है। भक्त और मोक्ष में द्वंद होने पर भक्त की विजय होती है, मोक्ष यूं ही रह जाता है। उन्होंने कहा कि परमात्मा कहते हैं कि मैं भक्तों के साथ रहता हूं, जहां वे मेरा गुणगान करते हैं, कीर्तन करते हैं। परम पुरुष के प्रति जो प्रेम है उसे ही भक्ति कहते हैं। निर्मल मन से जब इष्ट का ध्यान किया जाता है तो भक्ति सहज उपलब्ध हो जाती है। उक्त जानकारी देवास जिला आनंद मार्ग प्रचारक संघ के भुक्ति प्रधान दीपसिंह तंवर एवं डीएस आचार्य, शांतव्रतानंद अवधूत ने दी।

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