खेत-खलियान

लैंड पूलिंग के विरोध में 26 दिसंबर को उज्जैन में महाधरना

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‘डेरा डालो-घेरा डालो’ आंदोलन का ऐलान, किसानों ने भरी हुंकार

उज्जैन। सिंहस्थ मेला क्षेत्र की भूमि अधिग्रहण एवं लैंड पूलिंग योजना को लेकर भारतीय किसान संघ का आक्रोश अब आंदोलन का रूप लेने जा रहा है। प्रदेश शासन पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए संघ ने 26 दिसंबर को उज्जैन में ‘डेरा डालो-घेरा डालो’ महाधरना करने की घोषणा की है। संगठन ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि किसानों की जमीन छीनकर उज्जैन को कंक्रीट का जंगल नहीं बनने दिया जाएगा।

भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने बताया कि 17 नवंबर को भोपाल में हुई बैठक में शासन द्वारा लैंड पूलिंग समाप्त करने की घोषणा की गई थी, लेकिन अब तक इसका कोई लिखित आदेश जारी नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि यह किसानों के साथ सीधा धोखा है। अब संगठन का धैर्य समाप्त हो चुका है और संघर्ष अपरिहार्य हो गया है।

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सिंहस्थ मेला सदियों से तंबू-टेंटों के स्वरूप में लगता आया है। साधु-संत भी पक्के मकानों में डेरा नहीं डालते। सिंहस्थ पक्की इमारतों में नहीं, खुले और अस्थायी स्वरूप में ही होना चाहिए। इसी सोच के साथ किसान संघ ने जमीन बचाने के लिए निर्णायक आंदोलन का रास्ता चुना है।
संघ ने बताया कि 26 दिसंबर को प्रदेश के 18 जिलों की 115 तहसीलों से कार्यकर्ता उज्जैन पहुंचेंगे। आंदोलनकारी अपने वाहनों में डंडा-झंडा, राशन सामग्री, लकड़ी और कंडा लेकर शहर में डेरा डालेंगे और भूमि अधिग्रहण के खिलाफ घेरा डालकर विरोध दर्ज कराएंगे।

इससे पूर्व आंदोलन की रूपरेखा तय करने के लिए चिंतामण रोड स्थित अंबेडकर भवन में बैठक आयोजित की गई। बैठक में मुख्य अतिथि प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना के साथ प्रदेश मंत्री राजेंद्र शर्मा, प्रांत संगठन मंत्री अतुल माहेश्वरी एवं महामंत्री रमेश दांगी उपस्थित रहे। देवास से जिला मंत्री शेखर पटेल सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे। बैठक की शुरुआत कृषि देवता भगवान बलराम एवं भारत माता के पूजन और ध्वजारोहण के साथ की गई।

बैठक में 18 जिलों से आए 239 कार्यकर्ताओं ने एक स्वर में उज्जैन के किसानों के पक्ष में आंदोलन का शंखनाद किया। जानकारी प्रांत प्रचार प्रमुख गोवर्धन पाटीदार ने दी।

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