उज्जैन

रिश्वत लेते पकड़ा गया था उप पंजीयन कार्यालय का कर्मचारी, लोकायुक्त कोर्ट ने सुनाई 4 साल की सजा

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उज्जैन। भ्रष्टाचार के एक चर्चित मामले में विशेष न्यायालय ने उप पंजीयन कार्यालय के एक कर्मचारी को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े जाने पर दोषी मानते हुए चार वर्ष के सश्रम कारावास और आठ हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। यह कार्रवाई लोकायुक्त की टीम द्वारा किए गए ट्रैप ऑपरेशन के बाद की गई, जिसमें आरोपी की करतूत कैद हो गई थी।

लोकायुक्त से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में विशेष न्यायालय उज्जैन द्वारा उप पंजीयक कार्यालय उज्जैन के कर्मचारी नारायण सिंह रावत को भ्रष्टाचार से संबंधित प्रकरण में चार वर्ष सश्रम कारावास एवं आठ हजार रुपए अर्थदण्ड की सजा सुनाई गई।

विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) उज्जैन द्वारा 12 नवंबर को पारित अपने निर्णय में विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त उज्जैन के अपराध क्रमांक 76/2021 में नारायण सिंह भृत्य उप पंजीकृत कार्यालय को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा-7 में चार वर्ष सश्रम कारावास एवं आठ हजार रुपए के अर्थदण्ड से दंडित कर भेरूगढ़ जेल भेज दिया गया।

मामला इस प्रकार है कि 7 अप्रैल 2021 को आवेदक शैलेंद्रसिंह पवार निवासी तराना, जिला उज्जैन ने विपुस्था, लोकायुक्त कार्यालय उज्जैन में उपस्थित होकर एक शिकायत आवेदन पत्र, इस आशय का प्रस्तुत किया था कि “मेरे चाचाजी कमल सिंह पवार को बैंक से लोन लेना है, इसके लिए मकान की रजिस्ट्री की सत्यापित प्रतिलिपि पंजीयन कार्यालय उज्जैन से लेना था। उनके पढ़े-लिखे ना होने के कारण उन्होंने रजिस्ट्री की सत्यापित प्रति, पंजीयन कार्यालय उज्जैन से निकलवाने के लिए मुझसे कहा। रजिस्ट्री की सत्यापित प्रतिलिपि निकलवाने के लिए मैं पंजीयन कार्यालय उज्जैन के नारायण सिंह से मिला तो उसके द्वारा मुझसे 4000 रुपए रिश्वत की मांग की गई। मैं उसे रिश्वत नहीं देना चाहता, बल्कि रिश्वत लेते हुए उसे रंगे हाथों पकड़वाना चाहता हूं। पुलिस अधीक्षक द्वारा शिकायत की तस्दीक एवं कार्यवाही हेतु उप पुलिस अधीक्षक वेदांत शर्मा को निर्देशित किया गया।

शिकायत की तस्दीक हेतु आवेदक को वॉइस रिकॉर्डर देकर रिश्वत संबंधी बातचीत रिकॉर्ड कराई गई, जिसमें रिश्वत की मांग जाने पर, नारायण सिंह के विरूद्ध शून्य अपराध क्रमांक 0/13/2021 धारा-7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधन 2018) का पंजीबद्ध किया जाकर विधिवत ट्रेप आयोजित किया गया। नारायण सिंह को 3,000 रूपये की रिश्वत लेते हुए 8 अगस्त 2021 को उप पंजीयक कार्यालय उज्जैन के अभिलेख शाखा में रंगे हाथों पकड़ा गया। आरोपी ने रिश्वत के नोट आवेदक से प्राप्त करने के बाद, उन्हे एक लिफाफे में रखकर अभिलेख शाखा की एक अलमारी में छुपा दिया था, जिसे पंचों के सामने खुलवाकर, लिफाफे में रखा रिश्वती नोट जब्त किया गया था। ट्रेप के दौरान आरोपी का हाथ निर्धारित घोल में धुलवाने पर घोल का रंग हल्का गुलाबी हो गया था। उक्त प्रकरण थाना विपुस्था भोपाल में 8 अप्रैल 2021 को असल अपराध क्रमांक 76/2021 धारा-7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधन अधिनियम 2018) पर पंजीबद्ध किया गया।

प्रकरण की विवेचना उपरांत निरीक्षक दीपक सेजवार द्वारा चालानी कार्यवाही की गई थी। जिसमें विचारण उपरांत विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम उज्जैन द्वारा आरोपी नारायण सिंह को दोषसिद्ध कर भैरूगढ़ जेल भेज दिया गया। लोकायुक्त संगठन की ओर से विशेष लोक अभियोजक मनोज कुमार पाठक डीपीओ द्वारा प्रकरण में अभियोजन का संचालन किया गया। आरक्षक संजीव कुमारिया द्वारा अभियोजन संचालन में सहयोग किया गया।

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