भोले-शंभू भोलेनाथ के जयकारों से गुंजायमान हुई सम्पूर्ण अवंतिका नगरी

उज्जैन। भगवान श्री महाकालेश्वर की श्रावण-भाद्रपद माह में निकलने वाली सवारियों के क्रम में पंचम सोमवार को सायं 4 बजे परम्परानुसार सवारी धूमधाम से निकली। सवारी में भगवान श्री महाकालेश्वर ने पांच विभिन्न स्वरूपों में भक्तों को दर्शन दिये।
पालकी में श्री चन्द्रमौलीश्वर, गजराज पर श्री मनमहेश, बैलगाड़ी में गरूड़ पर शिवतांडव, बैलगाड़ी में नंदी पर श्री उमा-महेश एवं बैलगाड़ी में श्री होल्कर के स्वरूप में विराजमान होकर अपनी प्रजा का कुशलक्षेम जानने नगर भ्रमण पर निकले। सवारी के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में भगवान श्री चंद्रमौलीश्वर का षोडोपचार पूजन अर्चन किया गया। पूजन शासकीय पुजारी पं. घनश्याम शर्मा ने सम्पन्न करवाया।

सभा मंडप में प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल, राज्यमंत्री कृष्णा गौर, विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा, नगर निगम सभापति कलावती यादव, संजय अग्रवाल, माखनसिंह चौहान, कलेक्टर एवं अध्यक्ष महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति रौशन कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा, एडीएम एवं प्रशासक प्रथम कौशिक आदि ने भी भगवान श्री चंद्रमौलीश्वर का पूजन-अर्चन किया और आरती में सम्मिलित हुए। सभी गणमान्य नागरिकों ने पालकी को कंधा देकर नगर भ्रमण हेतु रवाना किया। सभामंडप में पूजन उपरांत अवंतिकानाथ भगवान श्री चंद्रमौलीश्वर के स्वरूप में पालकी में सवार होकर अपनी प्रजा का हाल जानने और भक्तों को दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण पर निकले। पालकी जैसे ही श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंची, सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा रजत पालकी में विराजित भगवान श्री चंद्रमौलीश्वर को सलामी (गार्ड ऑफ ऑनर) दी गई।

राजाधिराज भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारी में भक्त भगवान शिव का गुणगान करते हुए तथा विभिन्न भजन मंडलियां झांझ-मंजीरे, डमरू बजाते हुए चल रहे थे। सवारी अपने परम्परागत मार्ग से होती हुई रामघाट पहुँची। जहाँ रामघाट पर मॉं क्षिप्रा के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन किया गया। पूजन-अभिषेक व आरती उपरांत सवारी रामानुजकोट, मोढ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर पहुंची। जहां सिंधिया ट्रस्ट के पुजारी द्वारा पालकी में विराजित भगवान श्री चंद्रमौलीश्वर का पूजन किया गया। इसके पश्चात सवारी पटनी बाजार और गुदरी चौराहे से होती हुई पुनः श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंचने के पश्चात सवारी का विश्राम हुवा।
4 जनजातीय कलाकारों के दलों ने की सहभागिता-
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव की मंशानुरूप बाबा श्री महाकालेश्वर की सवारी को भव्य स्वरुप देने के लिए 4 जनजातीय कलाकारों के दल श्री महाकालेश्वर भगवान की पंचम सवारी में सहभागिता की। जिसमे बैतूल से मिलाप इवने के नेतृत्व में गोण्ड जनजातीय ठाट्या नृत्य, खजुराहो से गणेश रजक के नेतृत्व कछियाई लोक नृत्य, दमोह से पंकज नामदेव नेतृत्व में बधाई लोक नृत्य एवं डिण्डोरी के सुखीराम मरावी के नेतृत्व गेडी जनजातीय नृत्य की प्रस्तुतियां देते हुए सम्मिलित हुए। यह सभी दल श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारी के साथ अपनी प्रस्तुति देते हुए चले। जनजातीय दलों ने संस्कृति विभाग भोपाल, जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद व त्रिवेणी कला एवं पुरातत्व संग्रहालय के माध्यम से सवारी में सहभागिता की गई।
सवारी में मध्यप्रदेश के धार्मिक स्थलों की झाकियां भी निकाली गई। राजाराम लोक ओरछा, सर्वसिद्धि श्री माँ बगलामुखी माता मंदिर, माँ शारदा शक्तिपीठ मैहर एवं देवीलोक माँ श्री बिजासन धाम सलकनपुर की प्रतिकृति प्रदर्शित की गई, जिनका निर्माण धार्मिक एवं न्यास एवं अध्यात्म विभाग, मध्यप्रदेश के माध्यम से किया गया। सवारियों के क्रम में अंतिम व राजसी सवारी आगामी 18 अगस्त को निकलेगी। इस दौरान पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव, नन्दी रथ पर उमा-महेश, डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद एवं डोल रथ पर श्री सप्तधान का मुखारविंद सम्मिलित रहेगा। राजसी सवारी में परम्परागत 9 भजन मण्डलियों को मिलाकर कुल 70 भजन मण्डलियां सम्मिलित होंगी।



