तीन दृष्टिहीन बच्चों की विधवा माता और परिवार का सहारा बनकर पहुंचे पूर्व मंत्री दीपक जोशी

– धनतेरस पर पहुंचे सालखेतिया गांव, साथ में लाई मदद और संवेदना
– मानवता का दिया संदेश, त्योहारों की असली खुशी जरूरतमंदों के जीवन में रोशनी फैलाने में है
देवास। धनतेरस जैसे शुभ पर्व पर जहां आमजन अपने घरों में समृद्धि की कामना कर रहे थे, वहीं प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री दीपक जोशी ने इस दिन को मानवता और सेवा का प्रतीक बना दिया।
वे शनिवार को बागली क्षेत्र के गांव सालखेतिया पहुंचे, जहां एक विधवा आदिवासी महिला अवंतीबाई मौर्य, जिनके तीनों बच्चे दृष्टिहीन हैं, कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन कर रही हैं।
जोशी ने महिला के घर पहुंचकर न केवल संवेदना व्यक्त की, बल्कि परिवार के लिए अपनी ओर से गैस चूल्हा, गैस टंकी, बर्तन, खाद्य सामग्री, कपड़े आदि भेंट किए। उन्होंने कहा कि यह परिवार अब उनका अपना है और वे जीवनभर इनकी सहायता करते रहेंगे।
पूर्व मंत्री ने बताया, कि यह जानकर उन्हें गहरा दुःख हुआ कि अवंतीबाई आज भी किराए के घर में रह रही हैं। उन्होंने इसे सिस्टम की बड़ी खामी बताते हुए कहा कि “सरकार की योजनाओं का लाभ सबसे पहले ऐसे जरूरतमंद परिवारों तक पहुंचना चाहिए।”
जोशी का इस क्षेत्र से गहरा जुड़ाव रहा है। उनके पिता स्व. कैलाश जोशी, जो प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे, आठ बार इसी क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। दीपक जोशी स्वयं भी यहीं से पहली बार विधायक बने थे। भले ही यह विधानसभा सीट पिछले 17 वर्षों से आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हो, लेकिन जोशी का अपने क्षेत्र से आत्मीय रिश्ता आज भी कायम है।
हर साल दिवाली से पहले करते हैं अनुकरणीय कार्य-
पूर्व मंत्री जोशी का सेवा भाव कोई नया नहीं है। साल 2014 में हाटपीपल्या में आगजनी की एक घटना में जब एक परिवार पूरी तरह उजड़ गया था और केवल तीन बच्चियां बची थीं, तब से लेकर आज तक जोशी हर दिवाली उनके घर जाकर मिठाई, कपड़े, जूते, पटाखे और आवश्यक वस्तुएं भेंट करते हैं। इस वर्ष भी वे हाटपीपल्या पहुंचे और उन तीनों बच्चियों से आत्मीयता से मिले।
मानवता का सच्चा उदाहरण-
दीपक जोशी का यह कदम केवल सहायता नहीं बल्कि समाज को यह संदेश देता है कि त्योहारों की असली रोशनी जरूरतमंदों के जीवन में खुशियां फैलाने में है। उनके इस संवेदनशील प्रयास की क्षेत्रवासियों सहित समाज के अनेक वर्गों ने सराहना की है।
स्थानीय ग्रामीणों ने कहा, कि जोशीजी केवल नेता नहीं, बल्कि हमारे बीच के इंसान हैं जो हर सुख-दुख में साथ खड़े रहते हैं।
धनतेरस पर किया गया यह नेक कार्य निश्चित ही अनुकरणीय है और यह बताता है कि राजनीति केवल सत्ता का माध्यम नहीं, बल्कि सेवा का अवसर भी हो सकती है।




