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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष पर नगर में निकला प्रभावी पथ संचलन

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त्याग और तप की अखंड साधना से संघ ने पूरी की सौ वर्ष की गौरवशाली यात्रा

भौंरासा (मनोज शुक्ला)। बाबा भंवरनाथ की नगरी भौंरासा में मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में नगर की सड़कों पर संघ का भव्य पथ संचलन निकाला गया, जिसने नगरवासियों के हृदय में उत्साह और गर्व का संचार कर दिया।

सुबह सरस्वती शिशु विद्या मंदिर परिसर में स्वयंसेवकों का एकत्रीकरण प्रातः 8:30 बजे से प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में गोपाल राठौर (पर्यावरण प्रमुख, शाजापुर) उपस्थित रहे। साथ ही पंकज पटेल (खंड कार्यवाहक) और हेमंत बंड (नगर कार्यवाहक) भी मंचासीन रहे।

Path sanchalan

संघ त्याग और तप की अखंड साधना का प्रतीक-
मुख्य वक्ता गोपाल राठौर ने अपने उद्बोधन में कहा, कि सन 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी ने संघ की स्थापना कर एक ऐसा मार्ग चुना जो राष्ट्र को एकता और आत्मबल की दिशा में ले जाता है। त्याग, तप और अनुशासन की इस अखंड साधना का परिणाम है कि आज संघ अपनी शताब्दी यात्रा पूरी कर रहा है। यह संस्था हर व्यक्ति को जोड़ने और समाज में एकता का भाव जगाने का कार्य करती है। हमें स्वदेशी उत्पादों को अपनाकर राष्ट्रनिर्माण में अपना योगदान देना चाहिए।

प्रकट कार्यक्रम और शस्त्र पूजन-
कार्यक्रम के प्रारंभ में शारीरिक प्रदर्शन, योगासन, दंड संचालन और शस्त्र पूजन किया गया। सभी स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में अनुशासनबद्ध पंक्तियों में भाग लिया। घोष दल की मधुर धुनों और भगवा ध्वज की शोभा ने पूरे वातावरण को देशभक्ति से ओतप्रोत कर दिया।

पथ संचलन बना नगर का आकर्षण केंद्र-
इसके बाद नगर में प्रभावी पथ संचलन प्रारंभ हुआ, जिसमें दंड वाहिनी, घोष दल और ध्वज वाहक स्वयंसेवक शामिल रहे। हजारों स्वयंसेवकों ने अनुशासनबद्ध पंक्तियों में कदमताल करते हुए नगर भ्रमण किया। संचलन मार्ग पर नगरवासी, महिलाएं और बच्चे बड़ी संख्या में सड़कों पर एकत्रित हुए।

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नगर हुआ संघमय-
नगर में जगह-जगह नागरिकों ने पुष्पवर्षा कर स्वयंसेवकों का स्वागत किया। मातृशक्ति संगठनों और महिला मंडलों द्वारा संचलन पर पुष्पवृष्टि कर स्वयंसेवकों का मनोबल बढ़ाया गया। भगवा ध्वज की छटा और घोष की गूंज से ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे पूरा नगर संघमय हो गया हो।

संघ का शताब्दी वर्ष, एक प्रेरणादायक यात्रा-
इस अवसर पर स्वयंसेवकों में विशेष उत्साह देखने को मिला, क्योंकि इस बार का संचलन संघ के 100 वर्ष पूर्ण होने की ऐतिहासिक घड़ी में आयोजित हुआ। संघ के इस सौ वर्षीय गौरवशाली सफर में त्याग, सेवा, अनुशासन और राष्ट्रभक्ति की अमिट छाप झलकती है।
संघ की यह यात्रा समाज के हर वर्ग को राष्ट्रहित के सूत्र में बांधने का संदेश देती है।

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