आपका शहर

नर्मदा के जल स्तर में अभी कोई उतार नहीं, 84.08 जल स्तर स्थिर

Share

नेमावर (संतोष शर्मा)। नेमावर क्षेत्र में नर्मदा का जलस्तर बुधवार रात से 84.08 मीटर पर स्थिर बना हुआ है। बारिश थमने से सहायक नदियों का बहाव सामान्य हो गया है, जिससे बाढ़ का खतरा कम हुआ है, लेकिन वार्ड क्रमांक 14-15 सहित कई गांवों का सड़क संपर्क अब भी कटा हुआ है। कुड़गांव मार्ग पर बेक वाटर भराव और अधूरी सड़कों-पुलियों के कारण सैकड़ों ग्रामीणों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है।

बुधवार शाम 6 बजे के बाद से देर रात तक नर्मदा का जल स्तर 885 को पार कर गया था। गुरुवार की शाम 5.30 बजे तक जल स्तर बमुश्किल 4 इंच घट कर 84.08 पर अभी 20 घंटे से स्थिर बना हुआ है।

Narmada

बुधवार से क्षेत्र में बरसात बंद हो जाने से नर्मदा की सहायक नदियों का बहाव सामान्य होने से बाढ़ का खतरा लगभग टल गया है। फिर भी प्रशासन अलर्ट है। नगर के वार्ड क्रमांक 14 एवं 15 के निवासियों ने बताया कि स्थानीय नगर परिषद की उदासीनता के चलते इन दो वार्डों के निकलने के वैकल्पिक मार्ग पर भराव वर्षा से पूर्व करा दिया जाता तो आम नागरिकों को कीचड़ युक्त मार्ग से नहीं निकलना पड़ता।

स्मरणीय की हर वर्ष, वर्षाकाल में जब नर्मदा नदी में उफान आता है तब वार्ड क्रमांक 14-15 का मुख्य मार्ग नर्मदा के बेक वाटर से भर जाने से इस वार्ड का सड़क संपर्क नगर से बंद हो जाता है। अभी भी बुधवार तथा गुरुवार को भी नर्मदा नदी में बाढ़ का लेवल कम नहीं होने चलते सड़क संपर्क कटा हुआ है। इस वार्ड के लोगों के साथ स्कूली बच्चों के लिए भी स्कूल बसे वार्ड तक नहीं पहुंच पाने के चलते पालकों को इस कच्चे मार्ग से बच्चों को छोड़ने एवं लाने के लिए परेशान होना पड़ता है।

Narmada river

इधर नवीन बायपास के आगे कुड़गांव मार्ग पर दगड़िया बाबा नाले में नर्मदा का बेक वाटर आ जाने से ग्राम मुरझाल, कुडगांव, तुरनाल, दैय्यत, करोड़ चीचली, बिजलगांव का सीधे में नेमावर से सड़क संपर्क बंद हो जाता है। उन्हें इस स्थिति में दुलवा फाटा से होकर नेमावर, हरदा जाना पड़ता जो करीब 15 किमी फेर का रास्ता हो जाता है, जबकि सीधे में बमुश्किल 5 किमी चलकर नेमावर पहुंचा जा सकता है।

Narmada

शासन ने जनता की मांग पर जामनेर नदी पर विशाल पुल तो बना दिया परंतु जामनेर नदी से नेमावर तक 2 किमी की सड़क का निर्माण तथा दगड़िया बाबा नाले पर पुलिया नहीं बनाए जाने के चलते इस क्षेत्र के करीब 10 से 15 ग्राम की सैकड़ों जनता को शासन के लाखों रुपयों को खर्च कर बनाए इस पुल से कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। लोगों को वर्षाकाल में अभी बीमार होने पर इलाज के लिए फेर लगाकर ही हरदा जाने को बाध्य होना पड़ रहा है।

Related Articles

Back to top button