श्रीमद्भागवत कथा के रस में डूबा बेहरी, बाल गोपाल की लीलाओं ने किया भक्तों को भावविभोर

जब अंतःकरण शुद्ध होता है, तब भगवान का साक्षात्कार संभव होता है- कथावाचिका पूजा शर्मा
बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। ग्राम बेहरी स्थित पाटीदार धर्मशाला में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस श्रद्धा की अनुपम झलक देखने को मिली। कथास्थली भक्ति, भाव और भजनों से गूंज उठी। श्रद्धालु श्रीहरि की संगीतमयी लीलाओं में इस तरह झूमे कि ऐसा प्रतीत हुआ मानो स्वयं गोकुलधाम की अनुभूति हो रही हो।
कथावाचिका पूजा शर्मा (पुंजापुरा) ने इस अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा, कि कथा पापों का क्षय करती है, मन को निर्मल बनाती है और जब अंतःकरण शुद्ध होता है तभी परमात्मा कृपा करते हैं।
उन्होंने श्रीकृष्ण द्वारा इंद्र के अहंकार के शमन हेतु गोवर्धन पर्वत को उठाने की लीला का वर्णन करते हुए बताया, कि जिस प्रकार श्रीकृष्ण ने अपनी बाल रूपी करुणा से समस्त ब्रजवासियों को संकट से उबारा, ठीक उसी प्रकार जब हम अपने अभिमान, क्रोध और मोह का पर्वत छोड़ कर भक्ति की छत्रछाया में आते हैं, तब ईश्वर हमारी रक्षा करते हैं।
पूजा शर्मा ने कहा, कि श्रीमद्भागवत केवल एक ग्रंथ नहीं, आत्मा के शुद्धिकरण की साधना है। श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं हमें सरलता, ममता और निर्भयता का पाठ पढ़ाती हैं। गोवर्धन लीला यह बताती है कि जब भक्त संकट में होते हैं, तब भगवान स्वयं धरती पर आकर उनकी रक्षा करते हैं।

कथा स्थल पर प्रतिदिन आरती, प्रसाद वितरण और भजन संध्या का आयोजन भी हो रहा है। श्रद्धालु बड़ी श्रद्धा से भक्ति रस में स्वयं को सराबोर कर रहे हैं।
इस प्रसंग में श्रद्धालुओं ने ‘गोवर्धन धरन लीलानिधि’ जैसे भजनों पर नृत्य कर उत्साह प्रकट किया। कथा के दौरान यह भी बताया, कि पर्वत उठाने के उपरांत समस्त ब्रजवासी छप्पन भोग अर्पित कर प्रभु श्रीकृष्ण का आभार प्रकट करते हैं, जो समर्पण भाव की पराकाष्ठा का प्रतीक है।
राजेंद्र पाटीदार दंपती ने मुख्य यजमान के रूप में पूजन एवं आरती का पुण्य लाभ लिया। प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु इस दिव्य भागवत अमृतपान हेतु ग्राम एवं आसपास के क्षेत्रों से आ रहे हैं। आयोजन की संपूर्ण व्यवस्थाएं ग्रामवासियों द्वारा सेवा भाव से की जा रही हैं।



