इंदौर-देवास रोड पर महाजाम से जनजीवन अस्त-व्यस्त

किसान नेता हंसराज मंडलोई ने दी आंदोलन की चेतावनी
इंदौर/देवास। राष्ट्रीय राजमार्ग एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार किसी विकास के कारण नहीं, बल्कि कई किलोमीटर तक फैले महाजाम के चलते। निरंजनपुर चौराहे से लेकर देवास नाका होते हुए शिप्रा तक वाहनों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं। भारी वाहनों, एंबुलेंस, दोपहिया और चार पहिया वाहनों की रफ्तार पूरी तरह थमी हुई है।
इस भीषण ट्रैफिक जाम को लेकर किसान नेता हंसराज मंडलोई ने नाराजगी जताते हुए कहा है कि इंदौर और देवास जिलों से कई विधायक, दो कैबिनेट मंत्री और सांसद हैं, फिर भी इस महत्वपूर्ण मार्ग की हालत बेहद चिंताजनक बनी हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधि इस गंभीर समस्या से आंखें मूंदे हुए हैं।
प्रमुख कारणों में शामिल हैं दो प्रमुख निर्माण कार्य-
मंडलोई ने कहा कि मांगलिया रेलवे क्रॉसिंग पर ब्रिज निर्माण के कारण मांगलिया-व्यासखेड़ी मार्ग को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। वहीं अर्जुन बरोदा में निर्माणाधीन पुल का काम कछुआ गति से चल रहा है। इन दोनों कारणों से इंदौर-देवास रोड पर लगातार जाम की स्थिति बन रही है।
इस जाम के कारण सिर्फ आमजन नहीं बल्कि गंभीर रोगियों, नौकरी पेशा लोगों, स्कूली छात्रों और व्यापारियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मंडलोई ने बताया कि हाल ही में बिजलपुर के निवासी कमल पांचाल, जो अर्जुन बरोदा के समीप जाम में फंसे थे, कार्डियक अरेस्ट का शिकार हो गए। परिजन किसी तरह उन्हें देवास लेकर पहुंचे लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
मांग पूरी नहीं हुई तो होगा आंदोलन-
मंडलोई ने मांग की है कि मांगलिया रेलवे क्रॉसिंग के लिए वैकल्पिक मार्ग को तुरंत खोला जाए और अर्जुन बरोदा ब्रिज के निर्माण कार्य में तेजी लाई जाए। यदि एक सप्ताह में इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए तो किसान और ग्रामीण वर्ग सड़कों पर उतरने के लिए बाध्य होगा।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि स्थिति नहीं सुधरी तो इंदौर से देवास तक पदयात्रा निकाली जाएगी, साथ ही देवास नगर बंद और विजयनगर चौराहे से लेकर देवास नाका तक के इलाकों में जन आंदोलन की शुरुआत की जाएगी। इसके अंतर्गत तलावली चांदा, मांगलिया, डकाचिया और शिप्रा जैसे क्षेत्रों को भी पूरी तरह बंद करवाया जाएगा।
मंडलोई ने कहा कि अब जनता की सहनशक्ति जवाब देने लगी है, और यदि जल्द समाधान नहीं निकला, तो सड़क पर उतरकर ही अपनी आवाज सरकार तक पहुंचानी होगी।



