- ग्राम सिरोल्या में नौ दिवसीय श्रीराम कथा का रविवार से हुआ शुभारंभ
सिरोल्या (अमर चौधरी)। जीवन में संयमता, सदाचार और मर्यादा का पालन करना हो तो भगवान श्रीराम के जीवन का अनुसरण करें। भगवान श्रीराम का अवतरण भारत भूमि पर अधर्म का नाश और धर्म की स्थापना करने के लिए हुआ था। प्रभु श्रीराम सभी सद्गुणों के भंडार हैं। मातृ भक्ति, पितृ भक्ति, भातृ प्रेम, प्रजा से स्नेह, मधुर वाणी, सदाचार का भगवान श्रीराम में समावेश हैं। जिस मनुष्य ने भगवान श्रीराम की लीलाओं में अपना जीवन लगा दिया, वह मनुष्य भवसागर से तर जाएगा।
ये विचार ग्राम सिरोल्या में अंबे माता चौक स्थित श्रीराम कथा में विंध्याचल काशी के कथावाचक पवन पांडे ने कथा के पहले दिन श्रद्धालुओं के बीच व्यक्त किए। उन्होंने सती प्रसंग से कथा की शुरुआत की एवं कहा कि भगवान शिव ही ऐसे देवता हैं जो अतिशीघ्र प्रसन्न होते हैं। भगवान विष्णु को आभूषणों द्वारा, भगवती को स्तुतियों से जबकि प्रभु शिव जल के एक लोटे से प्रसन्न हो जाते हैं। शीघ्र प्रसन्न होने के कारण भगवान शिव का नाम आशुतोष पड़ा। प्रभु श्रीराम के इष्ट शिव हैं और शिव के इष्ट प्रभु श्रीराम हैं। जब समुद्र मंथन हुआ उस समय जो कालकुट विष निकला उस विष को भी भगवान श्रीराम के प्रभाव से अपने कंठ में रख लिया, जिसके कारण वे नीलकंठेश्वर कहलाए।
कथावाचक ने भजन गाया मेरी झोपडी के भाग आज खुल जाएंगे राम आएंगे..। भजन से परिसर में श्रद्धालु नृत्य करने लगे। जिस मनुष्य ने भगवान श्रीराम की लीलाओं में अपना जीवन लगा दिया, वह मनुष्य भवसागर से तर जाएगा। कथा प्रतिदिन दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगी। व्यासपीठ की महाआरती पूर्व सरपंच राकेश मंडलोई एवं श्रद्धालुओं ने की। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।





