धर्म-अध्यात्म

राम राजा मंदिर ओरछा: जहां भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है

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भारत भूमि पर अनेक मंदिर हैं जहां भगवान श्रीराम की भक्ति होती है, लेकिन मध्य प्रदेश के ओरछा नगर में स्थित राम राजा मंदिर एक ऐसा अनोखा स्थान है जहां भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है। यह केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, इतिहास और परंपरा का अद्भुत संगम है। यहां भगवान राम को पुलिस बल द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है। यही विशेषता इस मंदिर को देशभर के अन्य राम मंदिरों से अलग बनाती है।

इतिहास से जुड़ी रोचक कथा
राम राजा मंदिर की स्थापना से जुड़ी कथा 16वीं शताब्दी की है, जब ओरछा पर राजा मधुकर शाह का शासन था। उनकी पत्नी रानी कुंवरि गणेश देवी भगवान श्रीराम की परम भक्त थीं। एक बार रानी अयोध्या गईं और वहां कठिन तपस्या कर भगवान राम से उन्हें ओरछा चलने का अनुरोध किया। भगवान श्रीराम मान गए, लेकिन उन्होंने शर्त रखी कि वे जहां एक बार स्थापित होंगे, फिर वहां से नहीं हटेंगे।

रानी श्रीराम की बाल मूर्ति को ओरछा लाईं और अस्थायी रूप से अपने महल के रानी महल में विराजित किया। बाद में जब उन्हें भव्य मंदिर में स्थानांतरित करने का प्रयास किया गया, तो मूर्ति हिली ही नहीं। यह चमत्कार मानकर उसी महल को मंदिर में परिवर्तित कर दिया गया, जो आज राम राजा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।

राजसी परंपरा और अनूठी पूजा पद्धति
राम राजा मंदिर में भगवान को प्रतिदिन राजा की तरह दिनचर्या दी जाती है। सुबह उठने से लेकर भोजन, दरबार, विश्राम और रात्रि विश्राम तक सब कुछ राजसी रीति से होता है। मंदिर परिसर में तैनात पुलिस कर्मी गार्ड ऑफ ऑनर देते हैं, जो भारत में किसी भी अन्य मंदिर में नहीं देखा जाता।

आस्था और पर्यटन का संगम
बेतवा नदी के किनारे स्थित यह मंदिर न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र तीर्थ है, बल्कि इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। राम नवमी, दिवाली और सावन जैसे त्योहारों पर यहां विशेष आयोजन होते हैं।

ओरछा की यात्रा तब तक अधूरी मानी जाती है जब तक कोई श्रद्धालु राम राजा दरबार में हाजिरी न लगाए। यह मंदिर सच्चे अर्थों में ‘राजा राम की नगरी’ की अनुभूति कराता है।

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