धर्म-अध्यात्म

भागवत गीता को हम मानते जरूर हैं किंतु उपदेशों को मानते नहीं- गायत्री परिवार

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जिला जेल में श्रीमद भागवत गीता के श्लोकों का वाचन कर अर्थ समझाया

गायत्री परिवार के परिजनों की विशिष्ट भागीदारी में कार्यक्रम

देवास। अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार की शाखा देवास द्वारा गीता जयंती महोत्सव के अंतर्गत लगातार जनमानस के चिंतन को बदलने का प्रयास किया जा रहा है। इसी कड़ी में जिला जेल देवास में भी गायत्री परिवार की टीम द्वारा जेल के बन्दी भाई-बहनों को गीता के श्लोक सुनाकर श्लोकों का अर्थ समझाया।

गायत्री परिवार के मीडिया प्रभारी विक्रमसिंह चौधरी ने बताया, कि जिला जेल में गायत्री परिवार की टीम द्वारा गीता जयंती महोत्सव के अंतर्गत गीता के श्लोकों को सुनाकर श्लोकों का अर्थ समझाया। नवागत जेल अधीक्षक विद्याभूषण प्रसाद के मार्गदर्शन में आयोजन हुआ, जिसमें श्री प्रसाद ने बन्दी भाई-बहनों को गीता के उपदेशों को अपने जीवन में धारण कैसे करे यह बात समझाई।

मुख्य वक्ता के रूप में जिला युवा समन्वयक प्रमोद निहाले, वरिष्ठ परिजन अरुण शैव्य, कांतिलाल पटेल व मीडिया प्रभारी विक्रमसिंह चौधरी थे। अरुण शैव्य व कांतिलाल पटेल ने भागवत गीता का ज्ञान और सार सभी के समक्ष प्रस्तुत किया। आयोजन की शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण के भजन गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो…. राधा रमण हरि गोविंद बोलो से…।

जेल अधीक्षक श्री प्रसाद ने गायत्री परिवार की टीम का स्वागत करते हुए कहा, कि भागवत गीता का ज्ञान अद्भुत और जीवन को बदलने वाला है इसलिए हर बंदी भाई-बहिन प्रयास करे कि गीता के श्लोकों को नित्य पढ़े और अपने आचरण में उतारेl जिला युवा समन्वयक प्रमोद निहाले ने संबोधन में कहा कि हम सब भगवान श्रीकृष्ण को मानते जरूर है पर उनकी मानते नहीं है। अर्थात श्रीमद भागवत गीता के अनुसार हमारे जीवन में परिवर्तन आना चाहिए। अरुण शैव्य एवं कांतिलाल पटेल ने गीता के पंद्रहवें अध्याय के महत्वपूर्ण 20 श्लोकों को पूरे भावार्थ सहित समझाया। गीता भी वितरित की गई। आयोजन में जेल विभाग के विजयसिंह बारिया, बाबूलाल वर्मा, अभिनंदन पटेल उपस्थित थे।

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