प्याज के गिरते भाव ने किसानों की मेहनत पर फेरा पानी, मंडी तक ले जाने का किराया भी नहीं निकल रहा

– पुराने प्याज के खराब होने का डर, किसान मजबूरी में फेंक रहे हैं
बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। क्षेत्र के प्याज उत्पादक किसान इस समय आर्थिक परेशानी से जूझ रहे हैं। कभी उम्मीदों के साथ तैयार की गई फसल आज किसानों के लिए बोझ बन गई है। हालात यह हैं कि पुराने प्याज का भाव मात्र 2 रुपए किलो तक आ गया है। मंडी तक ले जाने का मोटर भाड़ा भी नहीं निकल पा रहा। ऐसे में किसान मजबूरी में अपनी मेहनत की प्याज को खेतों में ही फेंकने को विवश हैं।
किसानों ने बताया कि प्याज की फसल इस साल बड़े पैमाने पर लगाई गई थी। परिणामस्वरूप चोइथराम मंडी इंदौर में पिछले तीन दिनों से 15 से 20 हजार कट्टे रोजाना पहुंच रहे हैं, लेकिन लेवाली बेहद कम है। इसी बीच नया प्याज भी मंडियों में आने लगा है जो 3 से 5 रुपए किलो में बिक रहा है। ऐसी स्थिति में पुराने प्याज को कोई पूछ नहीं रहा, और किसान इसे 2 रुपए किलो तक बेचने को मजबूर हैं।
6 महीने से उम्मीद में रखे कट्टे अब बोझ बन गए-
बेहरी क्षेत्र में कई किसान ऐसे हैं जिन्होंने भाव बढ़ने की आशा में प्याज को 6-7 महीनों से संभालकर रखा था। लेकिन लंबे इंतजार के बाद अब हालत इतनी खराब है कि प्याज कट्टियों में ही उगने लगा है और खराब होने की कगार पर है। किसानों का दर्द साफ झलकता है मंडी तक ले जाएं तो किराया ज्यादा, दाम इतने कम कि घर लौटते-लौटते घाटा ही घाटा।
किसान संघ से जुड़े जुगल पाटीदार ने सरकार से मांग की है कि ऐसे संकट में तुरंत निर्यात की व्यवस्था करें, ताकि प्याज की खपत बढ़े और किसानों को कम से कम 10 से 12 रुपए किलो तक का उचित भाव मिल सके।
किसान श्रीराम पाटीदार, त्रिलोक पाटीदार, शिव पाटीदार, बद्रीलाल पाटीदार जैसे कई किसानों ने बताया कि उन्होंने ढाई सौ कट्टे प्याज 7 महीने तक संभालकर रखे, लेकिन दाम इतने नीचे गिर जाएंगे, इसका अंदाज़ा नहीं था।
प्याज उगने की समस्या-
उद्यानिकी विभाग के राकेश सोलंकी बताते हैं, कि प्याज को सही तरीके से स्टोर न करने पर यह 5-6 महीने बाद उगने लगता है और यह प्रक्रिया शुरू होते ही प्याज तेजी से खराब होने लगता है।
कुछ किस्में 10 माह तक टिक जाती हैं, लेकिन आमतौर पर किसान स्थानीय किस्में ही स्टोर करते हैं, जो ज्यादा समय तक सुरक्षित नहीं रह पातीं।



