देवास। अमलतास यूनिवर्सिटी, देवास में एडिक्शन साइकोलॉजी पर आधारित दो दिवसीय NCMSAP 2025 सेकंड मिड टर्म नेशनल कॉन्फ़्रेंस का समापन गहन विमर्श, शोध निष्कर्षों और भविष्य की ठोस रणनीतियों के साथ हुआ।
यह सम्मेलन नशा-मुक्ति और मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुआ, जिसमें देश-विदेश से आए लगभग 500 विशेषज्ञों, डॉक्टरों और शोधकर्ताओं ने भाग लेकर अपने-अपने शोध प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम के द्वितीय दिवस पर मुख्य अतिथि डॉ. अजय खैमरिया आयुक्त दिव्यांगजन मध्यप्रदेश, कलेक्टर ऋतुराज सिंह, पुलिस अधीक्षक पुनीत गेहलोत, सीएमएचओ डॉ. सरोजनी जेम्सबेक उपस्थित रहे। सभी ने नवीन आईसीयू का निरीक्षण किया।
सम्मेलन का आयोजन डिपार्टमेंट ऑफ एलाइड एंड रीहैबिलिटेशन साइंसेज़ एवं अमलतास यूनिवर्सिटी के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। दो दिनों तक चले इस बौद्धिक मंथन में एडिक्शन के कॉग्निटिव, क्लीनिकल एवं साइको-न्यूरोलॉजिकल पहलुओं पर गहराई से चर्चा की गई।
नशे के बदलते स्वरूप पर गंभीर चिंता-
समापन सत्र में विशेषज्ञों ने एक स्वर में कहा कि आज नशे की समस्या केवल पारंपरिक मादक पदार्थों तक सीमित नहीं रही। गेमिंग एडिक्शन, सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग, ऑनलाइन जुआ और व्यवहारजनित लतें तेजी से युवाओं को अपनी चपेट में ले रही हैं, जिसका सीधा असर परिवार, समाज और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। इन नई चुनौतियों से निपटने के लिए बहु-आयामी नीति और समय पर हस्तक्षेप बेहद आवश्यक है।
सम्मेलन के समापन अवसर पर अमलतास समूह के चेयरमैन मयंक राज सिंह भदौरिया ने देश-विदेश से आए सभी विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा यह सम्मेलन केवल विचार-विमर्श तक सीमित नहीं, बल्कि नशा-उन्मूलन की दिशा में ठोस समाधान और भविष्य की नीतियों का आधार बनेगा। यहां प्रस्तुत शोध और अनुभव समाज में फैले नशे के जाल को काटने में निर्णायक भूमिका निभाएंगे। अमलतास यूनिवर्सिटी और अस्पताल समाज को नशा-मुक्त बनाने के लिए शोध, उपचार और जागरूकता के हर संभव प्रयास करता रहेगा।
उन्होंने कहा कि नशामुक्ति केन्द्रों की भूमिका, कारणों की वैज्ञानिक समझ, समय पर काउंसलिंग और समाज की सहभागिता ही इस समस्या का स्थायी समाधान है।
शोध, समाधान और नीति निर्माण की नई राह-
अमलतास अस्पताल एवं यूनिवर्सिटी के मंच पर प्रस्तुत शोध-पत्रों में नशे के कारण, प्रभाव, निवारण, उपचार पद्धतियों और पुनर्वास पर विस्तार से चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने माना कि सम्मेलन से निकले निष्कर्ष आने वाले समय में राष्ट्रीय स्तर की नशा-उन्मूलन नीतियों और मानसिक स्वास्थ्य को नई दिशा देंगे।
सफल आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका-
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. शरदचन्द्र वानखेड़े, डीन डॉ. एके पिठवा, डॉ. प्रशांत, डॉ. समीर देसाई, सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।
सम्मेलन को सफल बनाने में डॉ. अभय गुप्ता (ऑर्गनाइजिंग चेयरमैन), डॉ. भारती लाहोरिया (ऑर्गनाइजिंग सेक्रेट्री), डॉ. संगीता तिवारी एवं पूरी कार्यकारिणी की सराहनीय भूमिका रही।
सोसायटी फॉर एडिक्शन साइकोलॉजी ने सराहा एवं सेकेट्री डॉ. अमृता पेन ने अपने भाषण में इस कॉन्फ्रेंस को सराहनीय कदम बताया एवं साथ ही ऑर्गनाइजिंग कमिटी को इस सफल कॉन्फ्रेंस के लिए प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया।





