31 हजार हेक्टेयर में बाघों की बड़ी पड़ताल: पुंजापुरा वन्य परिक्षेत्र में शुरू हुआ सर्वे

पुंजापुरा (बाबू हनवाल)। जंगलों की खामोशी को समझने, हर आहट को सुनने और वन्य जीवन की असली तस्वीर दुनिया के सामने लाने वाला महाभियान अखिल भारतीय बाघ गणना शनिवार से वन परिक्षेत्र में शुरू हो गई।
इस विशेष अभियान में 26 बीट के विशाल 31 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र की गहन मानीटरिंग की जाएगी। इसके लिए 26 प्रशिक्षित वनकर्मियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
क्या होती है गणना?
वन विभाग बाघों की संख्या, उनकी गतिविधियों, निवास क्षेत्र, भोजन की उपलब्धता, स्वास्थ्य और प्रजनन क्षमता को समझने के लिए वैज्ञानिक तरीके से गणना करता है।
इसमें मांसाहारी और शाकाहारी प्राणियों की अलग-अलग ट्रैकिंग, पगमार्क की जांच, जलस्रोतों के आसपास की गतिविधियों का अवलोकन, रात और सुबह के समय की मूवमेंट, पेड़ों, घास, वनस्पति की घनता का आंकलन और GPS आधारित डेटा संग्रह शामिल होता है।
यह गणना आने वाले वर्षों की जंगल सुरक्षा, वन संरक्षण योजनाओं और बाघों की सुरक्षा नीति का आधार बनती है।
पहले दिन का रोमांचक कार्य-
वन विभाग के संजय टोटा ने बताया कि गणना के पहले दिन बाघों की मूवमेंट को चिन्हित किया गया। इसके लिए वन कर्मचारियों ने दो किलोमीटर पैदल चलते हुए क्षेत्र के चारों ओर निर्धारित गोला बनाकर पेड़ों की गिनती, उनकी प्रजाति और घनत्व का लेखा-जोखा तैयार किया।
इसके बाद वे घास वाले क्षेत्र में जाकर पदचिन्ह, मल, खरोंच, मूवमेंट ट्रेल्स जैसे संकेतों के आधार पर उपस्थिति दर्ज की। शाकाहारी प्राणियों में खरगोश, चीतल, हिरण आदि प्राणियों की उपलब्धता भी देखी जा रही है।
ये वनकर्मी संभाल रहे जिम्मेदारी-
पुंजापुरा वन परिक्षेत्र अधिकारी सत्येंद्र ठाकुर ने सभी कर्मचारियों को कार्यालय में विस्तृत दिशा-निर्देश दिए।
मुख्य रूप से जो वनकर्मी इस अभियान में मूलचंद भार्गव, तेजसिंह पंवार, विजय मोर्य, देवीसिंह भार्गव, नंदकिशोर सालित्र, गिरधारीलाल राठौर, सुरपाल वास्केल, दुर्गा पवार जंगल की हर गतिविधि पर पैनी नजर रखते हुए बारीकी से रिकॉर्ड तैयार कर रहे हैं।



