दिसंबर माह को गीता जयंती-तुलसी पूजन माह के रूप में मनाने का लिया निर्णय

देवास। संत आसाराम बापू की प्रेरणा से देवास में महिला उत्थान मंडल द्वारा तुलसी पूजन एवं गीता जयंती का कार्यक्रम संयुक्त रूप से सम्पूर्ण दिसंबर माह में मनाया जाएगा।
इसकी शुरुआत कालानी बाग में मोहन जोशी के निवास से हुई। इस कार्यक्रम में आश्रम की विधि परंपरा अनुसार गीता जी का एवं तुलसी माता का पूजन, जोशी परिवार एवं सभी उपस्थित भाई बहनों द्वारा किया गया। सर्वप्रथम गीता जी के 15वें अध्याय का पाठ संस्कृत विद्वान घनश्याम जोशी द्वारा किया गया। उसके बाद श्रीमद्भागवत गीता का एवं हरिप्रिया तुलसी माता का पूजन किया गया। पूजन के पश्चात आरती की गई और सात-सात परिक्रमा की गई।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता बीडी जामनेरा ने बताया कि, गीता जी का पठन पाठन पूजन बहुत ही पुण्यकारी एवं जीवन में सर्वोचित मार्ग प्रदान करने वाला रहता है। मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को निमित्त बनाकर दिया गया गीता ज्ञान हम सबको, शक्ति भक्ति एवं ऊर्जा प्रदान करता है। इसी तरह गुरुदेव की प्रेरणा से 25 दिसंबर को विशेष तुलसी पूजन दिवस मनाया जाएगा। देवास में इसकी शुरुआत भी तुलसीमाता का पूजन करके की गई। प्रतिदिन तुलसी पूजन करने व तुलसी जी में जल चढ़ाने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। यह जानकारी देते हुए महिला मंडल प्रमुख श्यामा जोशी ने बताया कि इस वर्ष भी दिसंबर माह में प्रतिवर्ष अनुसार गीता जयंती एवं तुलसी पूजन दिवस का कार्यक्रम उत्साहपूर्वक मनाया जाएगा। देवास में हर रविवार को अर्थात 7, 14 एवं 21 दिसंबर को यह पूजन कार्यक्रम किया जाएगा।

इसके अलावा भी विभिन्न साधकों के घर पर, मंदिरों, विद्यालयों में, सार्वजनिक मुख्य स्थानो पर यह पूजन योग वेदांत सेवा समिति के मार्गदर्शन में करने का प्रयास किया जाएगा। 25 दिसंबर को तुलसी माता व गीताजी का मुख्य पूजन कार्यक्रम गुरु वाटिका, कैलादेवी मंदिर में किया जाएगा। यहां पर मुख्य द्वार पर सभी दर्शनार्थियों को एवं आने जाने वाले महानुभावों को 251 तुलसी के पौधों का वितरण किया जाएगा। तुलसी पूजन दिवस के उपलक्ष में मुख्य जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों को तुलसी जी के गमले भेंट किए जाएंगे।
गुरुदेव की प्रेरणा से उनका यह संकल्प विश्वव्यापी हो गया है। देश-विदेश में यह पूजन धूमधाम से किया जाता है। इसका उद्देश्य अशांति भरे इस भागम भाग के समय में शांति एवं मोक्ष प्रदान करना तथा भारतीय संस्कृति से लोगों को अवगत कराना है।



