दर्दनाक हादसा: भीषण आग में उद्योगपति प्रवेश अग्रवाल की दम घुटने से मौत

इंदौर। शहर के लसुडिया क्षेत्र में गुरुवार सुबह करीब 5 बजे एक दर्दनाक हादसे में उद्योगपति प्रवेश अग्रवाल की मौत हो गई।
बताया जा रहा है कि आग लगने की यह घटना सोम्या व्हीकल्स प्राइवेट लिमिटेड (सोम्या महिंद्रा) शोरूम के ऊपर बने पेंटहाउस में हुई, जहां आग लगने के बाद धुआं पूरे मकान में फैल गया।
दमकल की गाड़ियां जब तक मौके पर पहुंचीं, तब तक आग ने विकराल रूप ले लिया था। रेस्क्यू टीम ने आग पर काबू तो पा लिया, लेकिन तब तक प्रवेश अग्रवाल की दम घुटने से मौत हो चुकी थी। बताया जा रहा है कि प्रवेश अग्रवाल अपनी बड़ी बेटी सौम्या को बाहर निकालने के लिए अंदर गए थे, लेकिन बाहर नहीं आ सके। गार्डों ने बेटी को बाहर निकाला। जब प्रवेश अग्रवाल को बाहर निकाला गया, तब वे बेहोशी की हालत में थे, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
बड़ी बेटी अस्पताल में भर्ती-
आग लगने पर प्रवेश अग्रवाल ने पत्नी श्वेता अग्रवाल और छोटी बेटी मायरा (12 वर्ष) को सुरक्षित नीचे पहुँचाया। वे बड़ी बेटी सौम्या को निकालने के कमरे में गए थे, लेकिन दम घुटने से उनकी मौत हो गई। बड़ी बेटी को अस्पताल में भर्ती किया गया है, जहां उसका उपचार चल रहा है।
प्रारंभिक जांच में बताया गया है कि आग संभवतः किचन एरिया से शुरू हुई, जो देखते ही देखते पूरे पेंटहाउस में फैल गई। आग लगने के बाद घर में धुआं तेजी से भर गया। बताया जा रहा है कि अखंड ज्योत जल रही थी, वहां से आग भड़की।
राजनीतिक व उद्योग जगत में शोक की लहर-
प्रवेश अग्रवाल प्रदेश के जाने-माने उद्योगपति थे, जिनके मध्यप्रदेश के कई जिलों में ऑटोमोबाइल शोरूम संचालित हैं। वे सामाजिक व धार्मिक कार्यों में भी सक्रिय रहते थे और उन्होंने “नर्मदा युवा सेना” का गठन किया था। उनके राजनेताओं से भी अच्छे संबंध थे। निधन की खबर फैलते ही व्यापारिक जगत और राजनीतिक हलकों में शोक की लहर दौड़ गई।
प्रवेश अग्रवाल: सरलता व विनम्रता के प्रतीक-
प्रवेश अग्रवाल का स्वभाव हमेशा विनम्र और सहज रहा। वे हर व्यक्ति से, चाहे छोटा हो या बड़ा, मुस्कुराकर और आत्मीयता से मिलते थे।
राजनीति में जुड़े होने के बावजूद सबके प्रिय बने रहे। वे कांग्रेस से जुड़े थे, लेकिन उनकी ईमानदारी और सहयोगी स्वभाव के कारण विपक्षी दलों के लोग भी उनकी प्रशंसा करते थे।
देवास से उनका गहरा लगाव था। यहां उनका आना-जाना लगा रहता था और वे सेवा कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। देवास और आसपास के क्षेत्रों में उनके समर्थकों की एक बड़ी फौज है, जो आज उन्हें एक सरल, मददगार और प्रेरणादायी इंसान के रूप में याद कर रही है।



