फूलों ने खिलाई किसानों की किस्मत: खेतों में महक बिखेर रहा गेंदा, दीपावली से पहले भाव हुए दोगुने!

बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। खेतों में खिले फूल अब सिर्फ सौंदर्य नहीं बिखेर रहे, बल्कि किसानों की झोली भी खुशहाली से भर रहे हैं। दीपावली पर्व नजदीक आते ही फूलों की मांग और दाम दोनों आसमान छू रहे हैं।
पहले जो गेंदा मात्र 15-20 रुपये किलो में बिक रहा था, वह अब 40 रुपये किलो तक पहुंच गया है। गुलाब, गुलदावरी और मोगरा की खुशबू ने बाजार की रौनक बढ़ा दी है। कम लागत में अधिक मुनाफा फूल उत्पादकों को उत्साहित कर रहा है।
बेहरी और आसपास के क्षेत्रों में इन दिनों कई खेत मानो रंगों की चादर ओढ़े हुए प्रतीत हो रहे हैं। कहीं पीले-केसरिया गेंदे की कतारें लहरा रही हैं, तो कहीं गुलाब और गुलदावरी की कलियां मुस्कुरा रही हैं। खेतों में फैली इन फूलों की महक से पूरा वातावरण सुगंधित हो उठा है। किसान मौसम और पर्व के अनुसार फूलों की विविध प्रजातियों की खेती कर रहे हैं। दीपावली के लिए गेंदे की मांग सबसे अधिक रहती है, जिसे देखते हुए इस वर्ष तीन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में गेंदा लगाया गया है।
दोगुना दाम से खुशी-
किसानों के अनुसार इस वर्ष फूलों की खेती पर मौसम पूरी तरह मेहरबान रहा है। न अधिक वर्षा से नुकसान हुआ और न ही बीमारी का असर दिखा। किसान मोतीलाल बागवान, संतोष बछानिया और हरिदास बताते हैं, कि इस बार फूलों की फसल बेहद अच्छी रही है। रामसिंह बागवान के मुताबिक, नवरात्रि में ही गेंदा 50 रुपये किलो तक बिका था और अब दीपावली तक इसमें और वृद्धि की उम्मीद है।
थोक बाजार में गुलाब और गुलदावरी भी 40 से 50 रुपये किलो बिक रहे हैं। खास बात यह है कि यहां की लाल कलकत्ती छोटी गेंदा किस्म की मांग दूर-दूर तक है।
माला बनाकर मुनाफे में इजाफा-
किसान बताते हैं कि केवल फूल बेचने से ही नहीं, बल्कि माला बनाकर बेचने से भी अच्छी आमदनी हो रही है। दीपावली पर्व पर प्रतिदिन 5 से 6 हजार रुपये तक के फूलमाला विक्रय की उम्मीद है। फूल तोड़ने के लिए मजदूरी भी बढ़ गई है, प्रति बोरा 300 रुपये तक दी जा रही है।
एक बीघा में लगभग 25 हजार रुपये की लागत आती है, जिसमें सिंचाई, खाद और दवा शामिल है। वहीं थोक बिक्री से कम समय में 70 से 80 हजार रुपये तक की आमदनी संभव हो रही है।
फूलों की खेती बनी ‘गोल्डन क्रॉप’-
कम मेहनत और कम जोखिम के बावजूद फूलों की खेती अब लाभ का सुनहरा अवसर बन गई है। किसान इसे पारंपरिक खेती के मुकाबले अधिक फायदे का सौदा बता रहे हैं। दीपावली, नवरात्रि, गणेशोत्सव और विवाह समारोह जैसे अवसरों पर फूलों की मांग सालभर बनी रहती है।
ऐसे में यह खेती किसानों की आय बढ़ा रही है।



