धर्म-अध्यात्म

देवास में निकला ऐतिहासिक नवदुर्गा विसर्जन चल समारोह

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जगह-जगह हुआ मंचों से स्वागत, बारिश ने बढ़ाया भक्तों का उत्साह

देवास (दिनेश सांखला)। मां चामुंडा की नगरी देवास में नवरात्रि पर्व का समापन ऐतिहासिक और धार्मिक आस्था के अद्भुत संगम के रूप में हुआ। परम्परानुसार एकादशी पर भव्य नवदुर्गा विसर्जन चल समारोह बड़े ही उत्साह और श्रद्धा के साथ निकाला गया।

शहरभर में सजे भव्य दुर्गा पांडालों और माता रानी की प्रतिमाओं के विसर्जन हेतु खेड़ापति मंदिर से प्रारंभ हुआ यह चल समारोह हजारों श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना। बच्चे, युवा, महिलाएं और बुजुर्ग सभी हाथों में ध्वज, चुनरी और मां की जय-जयकार करते हुए इस कारवां के साथ चल रहे थे।

मंचों से हुआ स्वागत, भक्तों को मिला प्रसाद-
चल समारोह मार्ग पर जगह-जगह सामाजिक व धार्मिक संगठनों, व्यापारी वर्ग, राजनीतिक दलों और विभिन्न समाजों ने स्वागत मंच बनाए। हर मंच से माता रानी की झांकियों व प्रतिमाओं का पुष्पवर्षा से स्वागत किया गया।

भक्तों के लिए जगह-जगह भंडारे की व्यवस्था की गई, जिसमें प्रसाद स्वरूप फल, फरियाली, आलूबड़ा, पूरी और विविध व्यंजन वितरित किए जा रहे थे। श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण कर मां दुर्गा के भजन-कीर्तन में झूम उठे।

इन्द्रदेव की बरसात ने बढ़ाया उल्लास-
शाम के समय जब चल समारोह अपने पूरे शबाब पर था, तभी मानो इन्द्रदेव भी माता रानी के भक्तों की भक्ति से प्रसन्न हो उठे। अचानक शुरू हुई बारिश ने पूरे वातावरण को और भी पावन व रोमांचक बना दिया। भीगते हुए भी माता भक्तों का उत्साह और श्रद्धा कम नहीं हुई। युवा, महिलाएं व बच्चे बारिश की बूंदों के बीच नाचते-गाते जयकारे लगाते हुए आगे बढ़ते रहे।

कठिनाई के बाद भी उमड़ा उत्साह-
हालांकि, चल समारोह मार्ग पर दोनों ओर लगे विशाल मंचों के कारण प्रतिमाओं के वाहनों को निकालने में कुछ कठिनाइयाँ भी आईं, परंतु भक्तों के उत्साह और सहयोग से सब कुछ सुचारू रूप से सम्पन्न हुआ।

पूरा शहर डूबा भक्ति रस में-
जय माता दी के गगनभेदी नारों और ढोल-नगाड़ों की थाप से पूरा शहर गूंज उठा। जगह-जगह से आती ध्वनियां और भक्तों का उत्साह ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो पूरी देवास नगरी माता रानी के भक्ति रस में सराबोर हो गई हो।

अंततः रात में यह चल समारोह विसर्जन स्थल पर पहुंचा और माता रानी की प्रतिमाओं का विधि-विधान से विसर्जन किया गया। भक्तों ने भावभीनी विदाई दी और पुनः अगले वर्ष के लिए माता रानी के स्वागत का संकल्प लिया।

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