अपने अंदर की देवीय शक्तियों को जागृत कर दानवता का नाश करना है- ब्रह्माकुमारी प्रेमलता दीदी

देवास। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, कालानी बाग सेंटर पर जिला संचालिका ब्रह्माकुमारी प्रेमलता दीदी के सानिध्य में कन्या भोज का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कन्याओं की चरण पूजा, आरती एवं तिलक कर उन्हें भोजन कराया गया।
कार्यक्रम के दौरान प्रेमलता दीदी ने कहा कि नवरात्रि में कन्या पूजन का अत्यधिक महत्व है। कन्याएं मां दुर्गा के नौ रूपों की प्रतीक हैं, जिनमें पवित्रता और सरलता जैसे दिव्य गुण विद्यमान रहते हैं। कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप मानकर पूजने की परंपरा है, क्योंकि वे पवित्र और निष्पाप होती हैं और निराकार शिव परमात्मा की अति प्रिय हैं।
उन्होंने कहा कि नवरात्रि का वास्तविक अर्थ अपने अंदर की देवी शक्तियों को जागृत करना है। आज मानव जीवन में काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार जैसी आसुरी शक्तियां प्रबल हो गई हैं। हमें इनसे ऊपर उठकर अपने भीतर की दिव्यता, पवित्रता, सहजता और सरलता को जगाना होगा। यही जागरण का वास्तविक अर्थ है — आज्ञान की नींद से जागकर परमात्मा शिव की शक्तियों से स्वयं को जोड़ना।
दीदी ने बताया कि जब कलयुग में मानव मन पर अज्ञानता का अंधकार छा जाता है, तब नवरात्रि में किया जाने वाला जागरण आवश्यक हो जाता है। देवियों की पूजा करते समय हमें यह स्मरण रखना चाहिए कि उनके सभी दिव्य गुणों का स्रोत परमात्मा शिव ही हैं।
इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी ज्योति दीदी, अपुलश्री दीदी, सफला बहन, एकता बहन, हेमा वर्मा बहन, विवेक भाई, बंसीलाल राठौर भाई, बद्री भाई, सुनील भाई, आशीष भाई, मेहताजी सहित संस्था से जुड़े अनेक भाई-बहन उपस्थित रहे।




