106 साल की नादान बाई पटेल ने बताया लंबी उम्र का मंत्र- संतुलित जीवनशैली, उपवास और सादा भोजन

बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। बढ़ती उम्र में अक्सर लोग कमजोर और बीमारियों से जूझते दिखाई देते हैं, लेकिन बेहरी की 106 वर्षीय नादान बाई पटेल अपनी जीवंतता और स्फूर्ति से सबको चौंका देती हैं।
इस उम्र में भी वह पूरी तरह स्वस्थ हैं और रोज़मर्रा के काम बड़े सहज ढंग से करती हैं। उनके जीवन का आधार है माला जाप, पूजा-पाठ, गुरु सेवा और संतुलित दिनचर्या।
सुबह 4 बजे से शुरू होती दिनचर्या-
नादान बाई का दिन तड़के 4 बजे शुरू हो जाता है। उठते ही माला जाप और स्वाध्याय में लग जाती हैं। इसके बाद पंचामृत से अभिषेक कर मंदिर दर्शन के लिए निकलती हैं। सुबह 9 बजे तक लौटकर घर के सामान्य कार्य पूरे करती हैं। चाहे गर्मी हो या बरसात – उनकी दिनचर्या में कभी बदलाव नहीं आता।
उपवास है सेहत का सबसे बड़ा राज-
नादान बाई का कहना है कि लंबी और स्वस्थ उम्र का सबसे बड़ा राज उपवास है। वह नियम से दो दिन भोजन करने के बाद तीसरे दिन उपवास रखती हैं। उनका मानना है, कि जब पेट को आराम मिलता है तो शरीर अपने-आप की मरम्मत करने लगता है। बीमारी हो या कमजोरी, उपवास शरीर को भीतर से हीलिंग का समय देता है।
अगर कभी उन्हें बुखार या कोई तकलीफ हो जाए, तो अगले दिन उपवास करना उनकी पहली दवा होती है। यही वजह है कि 106 साल की उम्र में भी वे पूरी तरह फिट हैं।
सादा भोजन और व्यायाम का महत्व-
उन्होंने जीवनभर सादा भोजन और अल्पाहार को अपनाया। नमक, तेल और तली हुई चीज़ों से उन्होंने पूरी तरह परहेज़ किया है। नादान बाई का कहना है कि सादा भोजन ही लंबी उम्र और मजबूत सेहत का आधार है। शारीरिक सक्रियता पर भी वे ज़ोर देती हैं। दिन में दो-तीन बार आधे घंटे वॉक करती हैं और रोज़ाना व्यायाम भी करती हैं।
नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा-
गांव के वरिष्ठ नाथू सिंह दांगी कहते हैं “बुजुर्ग हमारे घरों के लिए देवी-देवता समान हैं। उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। आज की पीढ़ी संतुलित आहार और अनुशासन से दूर हो रही है, इस कारण कम उम्र में ही कई तरह की बीमारियों का शिकार हो रही है।”
जीवनशैली ही है असली पूंजी-
नादान बाई पटेल का जीवन इस बात का उदाहरण है कि लंबी उम्र दवाओं से नहीं, बल्कि संतुलित जीवनशैली, पूजा-पाठ, उपवास और सादा भोजन से मिलती है। 106 वर्ष की उम्र में भी उनकी ऊर्जा और स्वास्थ्य देखकर गांव के लोग हैरान रह जाते हैं।



