खेत-खलियान

सोयाबीन फसल बनी किसानों की पीड़ा, पौधों में फूल-फलियां नहीं

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हरे खेतों में छिपा दर्द, मजबूरी में किसान कर रहे फसल नष्ट

बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। जिस खेत से हमें उम्मीद थी अन्न की, वही आज हरे चारे में बदल चुका है।

ये पीड़ा सिर्फ एक किसान की नहीं, बल्कि बेहरी क्षेत्र के सैकड़ों किसानों की है, जिनकी हरी-भरी सोयाबीन की फसल आज उनकी मजबूरी का प्रतीक बन गई है। खेतों में पकी फसल की जगह ट्रैक्टरों से रोटावेटर चलते दिखाई दे रहे हैं, क्योंकि अब न फूल हैं, न फल, और न ही किसी तरह की उपज की उम्मीद।

65 दिन में ही खत्म हो गई उम्मीदें-
क्षेत्र के किसान राजेंद्र टोडर और जितेन पाटीदार बताते हैं, कि उन्होंने करीब 18 बीघा में सोयाबीन बोई थी, लेकिन 65 दिनों के बाद भी फसल में न फली आई, न फूल।

दूसरे किसान राधेश्याम पाटीदार को भी 12 बीघा की फसल को ट्रैक्टर से रोटावेटर चलाकर खत्म करना पड़ा। यही हाल क्षेत्र के अन्य किसानों का भी है, जो अपनी हरी फसल को जानवरों को खिला रहे हैं।

9560 वैरायटी सबसे ज्यादा प्रभावित-
किसानों के अनुसार इस वर्ष सर्वाधिक नुकसान 9560 वैरायटी की सोयाबीन को हुआ है। 30 मई को बोई गई फसल में बांझपन और पीले मोजेक वायरस का प्रकोप है। कई खेतों में सोयाबीन की पौधें हरे तो हैं, लेकिन उनमें फलियां नहीं है।

इस स्थिति में किसान मानते हैं कि फसल को अब बचाने की बजाय साफ करना ही बेहतर है ताकि अगली फसल के लिए खेत तैयार किया जा सके।

बड़ी चिंता यह है कि क्षेत्र के अधिकतर किसान केसीसी लोन के तहत फसल बीमा के भरोसे थे, लेकिन इस बार कई मामलों में बीमा का क्लेम भी खतरे में पड़ गया है। किसानों का आरोप है कि नई बीमा नीति के चलते उन्हें शासन की तरफ से कोई राहत या मुआवजा नहीं मिलेगा, क्योंकि न तो बीमा की प्रक्रिया स्पष्ट है और न ही पटवारियों की सक्रियता।

पटवारी जय सूर्यवंशी का कहना है कि जिन खेतों में ऐसी शिकायत है वहां जाकर निरीक्षण किया जा रहा है अभी तक शासन से कोई निर्देश नहीं मिले हैं।

कृषि विस्तार अधिकारी काशीराम चौहान का कहना है, कि जिन किसानों ने फसल बीमा करवाया है, वे बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर पर शिकायत दर्ज करें।

सोयाबीन

बीमा पर भरोसा नहीं, पुराने क्लेम भी नहीं मिले-
किसानों ने आरोप लगाया, कि उन्होंने बीते वर्ष भी बीमा कराया था, लेकिन अब तक पिछली फसल का मुआवजा तक नहीं मिला। ऐसे में उन्हें बीमा कंपनी और प्रशासन दोनों पर से विश्वास उठ चुका है। वे कहते हैं, बीतते दिन के साथ खेत में हरा नजर आता है, लेकिन दिल में दर्द भरता है।

अधिकारियों की अपील, किसान धैर्य रखें-
क्षेत्र के कृषि विस्तार अधिकारी शैलेश भगोरे ने कहा, कि लगातार सर्वे किया जा रहा है। उन्होंने उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट भेज दी है। किसानों से अनुरोध है, कि वे कुछ दिन धैर्य रखें और अपनी शिकायतें बीमा कंपनी को दें। शासन की नई नीति के अनुसार जो भी संभव सहायता होगी, वह दी जाएगी।

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