बाबा सिद्धनाथ निकले नगर भ्रमण पर, हर-हर महादेव के जयघोष से शिवमय हुआ नेमावर

श्रद्धा की बारिश में भीगते भक्त, सिद्धनाथ महादेव की भक्ति में डूबा नगर
नेमावर (संतोष शर्मा)। सावन मास का तीसरा सोमवार शिवभक्ति की अलौकिक अनुभूति से भर गया। नर्मदा तट स्थित बाबा सिद्धनाथ महादेव के धाम में सुबह से ही हर-हर महादेव की जयकारों से वातावरण गूंज उठा। श्रद्धालुओं की अपार भीड़, शिवलिंग पर जलार्पण की अविरल धारा और आस्था की लहरें- हर ओर शिवमय वातावरण।
अलसुबह से ही भक्तगण दूरदराज के गांवों से वर्षा में भीगते हुए, कांवर लेकर बाबा के दर्शन को पहुंचे। श्रद्धालुओं ने पुष्प, बेलपत्र, धतूरा और नरम व गंगाजल अर्पण कर बाबा का सांगोपांग जलाभिषेक किया और सुख-समृद्धि, आरोग्यता की कामना की।
नर्मदा तट पर लगा भक्तों का मेला-
भोर होते ही नर्मदा किनारे स्नानार्थियों का तांता लग गया। पुण्य सलिला में डुबकी लगाकर भक्तों ने अपने तन-मन को पवित्र किया और सिद्धनाथ बाबा के मंदिर में भस्म आरती के दिव्य दर्शन किए।
तीन बजे खुला मंदिर, भस्म आरती से जागे बाबा-
महंत गजानंद पुरी महाराज ने प्रातः 3 बजे मंदिर के पट खोले और बाबा का नर्मदा जल से अभिषेक कर उन्हें भस्म का लेप लगाया। इसके उपरांत बाबा की भस्म आरती की गई, जिसकी झलक पाने को भक्त उमड़ पड़े। आरती के बाद भक्तों ने गर्भगृह में प्रवेश कर पूजा-अर्चना की। यह पूजा क्रम दोपहर तक निर्बाध चला।
महाप्रसादी का आयोजन-
दोपहर में बाबा की मध्याह्न आरती कर महाप्रसादी का भोग अर्पित किया गया। तत्पश्चात श्रद्धालुओं को प्रसादी वितरण किया गया, जिसमें नगर व ग्रामीण अंचलों से आए हजारों भक्तों ने भाग लिया।
शाम को नगर भ्रमण पर निकले बाबा-
शाम 5 बजे बाबा सिद्धनाथ के अष्टधातु मुखौटे को रजत पालकी में विराजमान किया गया। महंत गजानंद पुरी महाराज की अगुवाई में बाबा की महाआरती हुई और ढोल-नगाड़ों के साथ भजन कीर्तन करते हुए भव्य पालकी यात्रा नगर भ्रमण को निकली।
पुष्प वर्षा, आरती और सत्कार-
नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए चली पालकी यात्रा के दौरान भक्तों ने जगह-जगह बाबा पर पुष्प वर्षा की, आरती उतारी और अपने आराध्य का जयघोष किया। भोलेनाथ की जय, सिद्धनाथ महाराज की जय के जयकारे लगाए।
रात्रि में वापसी और महाआरती-
रात्रि लगभग 8 बजे पालकी यात्रा मंदिर प्रांगण में पहुंची, जहां बाबा की पुनः महाआरती की गई और सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया।
भक्ति, भाव और शिवत्व से भरा रहा दिन-
नेमावर का यह दिन शिवभक्ति की चरम अनुभूति का प्रतीक रहा। सावन का सोमवार और बाबा सिद्धनाथ के दर्शन, यह अद्भुत संगम भक्तों के लिए जीवनभर की आध्यात्मिक पूंजी बन गया।



