धर्म-अध्यात्म

एकाग्रचित होकर योग करने से हमारी आत्मा चैतन्य हो जाती है- ब्रह्माकुमारी प्रेमलता दीदी

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देवास। मानव जीवन में योग-मेडिटेशन का बड़ा महत्व है। राजयोग मेडिटेशन से हमारा तन और मन सुदृढ होकर विषय विकारों से मुक्त हो जाता है। जब हम एकाग्रचित होकर योग करते हैं, तो हमारी आत्मा चैतन्य हो जाती है। हम एक ऐसी स्थिति में पहुंच जाते हैं, जहां आत्मा परमात्मा में लीन हो जाती है। तब हमें ईश्वरीय शक्ति का अनुभव होता है।

यह विचार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय कालानी बाग सेंटर में दैनिक योग मेडिटेशन के दौरान ब्रह्माकुमारी प्रेमलता दीदी ने अपनी अमृत वाणी में व्यक्त किए।

दीदी ने आगे कहा, कि अंतिम अवस्था समाधि को ही राजयोग कहा गया है। राजयोग अर्थात अंतर जगत की एक आनंदमय यात्रा है। यह स्वयं को जानने की पुनः पहचान की यात्रा है।

उन्होंने कहा, कि इस भागदौड़ भरी जिंदगी में थोड़ा समय निकालकर शांति से बैठकर आत्म चिंतन करना है। जिससे हम चेतना के मर्म की ओर लौट सकें। इस आधुनिक दुनिया में हम अपनी जिंदगी से इतनी दूर निकल गए हैं, कि अपनी सच्ची मन की शांति और शक्ति को भूल गए हैं।

उन्होंने कहा, कि योग एक ऐसी स्थिति है, जिसमें हम अपनी रोजमर्रा की चिंताओं से परे जाते हैं और हम अपने आध्यात्मिक सशक्तिकरण का आरंभ करते हैं।आध्यात्मिक जागृति हमें नकारात्मक भावों से दूर कर सकारात्मक विचारों को चुनने की शक्ति प्रदान करती है।

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