गुरु की कृपा के बिना जीवन का अंधकार नष्ट नहीं हो सकता- बृज रत्न वंदनाश्री

देवास। गुरु ही ज्ञान का प्रकाश है। गुरु की कृपा के बिना जीवन का अंधकार नष्ट नहीं हो सकता। जीवन में जब भी घोर विपत्ति आती है, तब गुरु का मार्गदर्शन हमें सही दिशा दिखाता है।
यह आध्यात्मिक विचार चैत्र नवरात्रि पर केलादेवी मंदिर में हो रही भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर बृज रत्न वंदनाश्री ने व्यक्त करते हुए कहे। उन्होंने कहा, कि महर्षि व्यास ने श्रीमद भागवत में लिखा है कैसा भी कष्ट हो नारायण कवच का पाठ करने से हर प्रकार के कष्ट से मुक्ति मिल जाती है। मंत्रों की त्रुटि अनिष्ट का रूप लेती है। एक बार इंद्र ने यज्ञ करवाया जिसमें वेद मंत्रों की छोटी सी अशुद्ध आहुति के कारण वृत्रासुर नामक राक्षक का अवतरण हो गया। जिसने देवलोक पर आक्रमण कर देवों का परास्त कर दिया, तब देवता अपने गुरु महर्षि दधीचि की शरण में गए। गुरु दधीचि अपने शरीर की अस्थि प्रदान करते हैं, जिससे इंद्र ने वज्र बनाकर वृत्रासुर का नाश किया। गुरु अपने शिष्यों के लिए ज्ञान के प्रकाश के साथ जीवन भी न्योछावर कर देते।

उन्होंने कहा, कि भगवान की प्राप्ति तप और बैर दोनों से होती है। असुरों ने बैर भाव लिए भागवत कृपा को प्रात किया। मगर बैर भाव के कारण भगवान ने उनका विनाश किया। हिरण्यकश्यप ने ब्रह्म की तपस्या कर न मरने का वरदान मांगा और देवताओं को अपना दास बना लिया, किंतु जब हिरणाकश्यप की पत्नी के गर्भ में पुत्र प्रह्लाद आए तब गुरु देवर्षि ने प्रह्लाद की माता को गुरु मंत्र देकर नारायण जाप करने को कहा। प्रह्लाद जब मां के गर्भ में थे तब नारायण की भक्ति ज्ञान प्राप्त हो गया था।
कहते है, कि बालक जब गर्भ में रहता है मां के आचरण, सद व्यवहार और भक्ति के प्रभाव से बालक के संस्कार बन जाते हैं। जब भगवान नरसिंह ने प्रह्लाद के पिता दुष्ट हिरणाकश्यप का वध कर दिया तब भगवान नरसिंह ने प्रह्लाद को वरदान मांगने को कहा तो प्रह्लाद ने भगवान से अपने पिता की मुक्ति का वरदान मांगा। पुत्र वही है जो अपने पितरों को मुक्ति प्रदान कर दे।
कथा में समुद्र मंथन की कथा, ग्राह वध गज उद्धार की कथा। दानी राजा बलि और वामन अवतार की कथा सुनाई गई। लीलामय भागवत कथा में हर प्रसंग का बृज के कलाकारों ने सजीव अभिनय कर श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। सूर्यवंश की कथा, प्रभु श्रीराम जन्म का चित्रण कर प्रभु राम की लीला का सुंदर चित्रण किया। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की कथा की लीला को देख कर श्रोता बधाई गीत गाते हुए झूमने लगे।
व्यास पीठ की पूजा मन्नूलाल गर्ग, दीपक गर्ग, हितेश गर्ग, नंदु दरबार, शंकरलाल अग्रवाल एवं कांता देवी अग्रवाल ने की। आरती में समिति संयोजक रायसिंह सेंधव, प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष राजेश यादव, रमेश महाजन, ओपी तापड़िया, माखनसिंह राजपूत, अंकेश सिंघल इंदौर, ताराचंद सिंगल, राजेश पटेल, रामबाबू शर्मा आदि उपस्थित थे।



