• Fri. Mar 28th, 2025

ईमानदारी, हुनर और मेहनत इंसान को बनाते हैं महान

ByNews Desk

Feb 9, 2025
कारीगर
Share

– संतोष की दौलत किसी खजाने से कम नहीं, एक ईमानदार कारीगर की सीख

स्कूल की एक कक्षा के दरवाजे का नकुचा थोड़ा टूट गया था, और दरवाजे का कुछ हिस्सा सड़ भी गया था। उसे ठीक करने के लिए मैंने एक कारीगर को बुला लिया। जब वह आया, तो मैंने ध्यान दिया कि उसके पास पुराने और टूटे-फूटे औजार थे- एक टूटी हुई हथौड़ी और आधी कटी आरी।

मैंने मन ही मन सोचा, “क्या ये वाकई में सही आदमी है? इतने खराब औजारों से भला कोई ढंग का काम कैसे कर सकता है?” लेकिन मैं चुप रहा और बस देखता रहा।

कौशल का कमाल-
कारीगर ने बिना किसी हिचकिचाहट के काम शुरू किया। उसने अपनी टूटी हुई हथौड़ी से दरवाजे के नकुचे को अलग किया और फिर अपनी आधी कटी आरी से दरवाजे के सड़े हुए हिस्से को काटने लगा। मैंने गौर किया, कि उसके हाथों में गज़ब की पकड़ थी- हर कट बिल्कुल सटीक था, जैसे कोई अनुभवी कलाकार कैनवास पर ब्रश चला रहा हो।

कुछ ही मिनटों में, दरवाजे का सड़ा हुआ हिस्सा साफ हो गया, और नया नकुचा फिट कर दिया गया। मैं हैरान था! मैंने सोचा था, कि टूटी-फूटी चीजों के साथ वह शायद ठीक से काम ही न कर पाए, लेकिन उसने इतनी सफाई से काम कर दिया कि नया और पुराना हिस्सा बिल्कुल एक जैसा लगने लगा।

ईमानदारी का उदाहरण-
काम खत्म होने के बाद, मैंने उसे 150 रुपये देने चाहे। लेकिन उसने मुझसे कहा, “सर, इतने पैसे नहीं बनते। आप सिर्फ 50 रुपये दीजिए।”

मैंने हैरान होकर पूछा, “लेकिन क्यों? तुम्हें तो 150 रुपये मिल रहे हैं, फिर तुम कम क्यों मांग रहे हो?”

उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “सर, हर काम की एक कीमत होती है। आज आप मुझे ज्यादा पैसे दे देंगे तो अच्छा लगेगा, लेकिन हर जगह ऐसा नहीं होगा। फिर मुझे तकलीफ होगी। जितना बनता है, उतना ही लीजिए।”

उसकी ईमानदारी ने मुझे भीतर तक झकझोर दिया।

हुनर की असली परिभाषा-
मैंने उसे सलाह दी, “तुम्हें नई हथौड़ी और आरी खरीद लेनी चाहिए, इससे काम में आसानी होगी।”

उसने हंसते हुए जवाब दिया, “सर, औजार तो टूटते ही रहते हैं, लेकिन काम कभी नहीं रुकता।”

फिर उसने जो कहा, वह मेरे दिल में बस गया—

“सर, आप ऑफिस में किस पेन से लिखते हैं, इससे क्या फर्क पड़ता है? ज़रूरी यह है कि आपको लिखना आता है या नहीं। अगर आपको लिखना आता है, तो किसी भी पेन से लिख लेंगे। नहीं आता, तो चाहे सोने की कलम भी पकड़ा दें, आप नहीं लिख पाएंगे। मेरे लिए औजार वैसे ही हैं, जैसे आपके लिए कलम। ये थोड़े टूटे हैं, लेकिन काम अच्छे से कर रहे हैं। नया लूंगा, फिर यही टूटेगा। जब से यह टूटा है, इसमें टूटने को कुछ बचा ही नहीं, इसलिए अब काम आराम से चल रहा है!”

सीख जो जिंदगी बदल दे-
उसकी बातें सुनकर मैं गहरे विचार में पड़ गया। हम में से कई लोग दिन-रात पैसे के पीछे भागते हैं, लेकिन इस कारीगर ने साबित कर दिया कि अगर मेहनत और ईमानदारी के औजार हमारे पास हैं, तो हमें अधिक पैसे की जरूरत ही नहीं पड़ती।

हम अक्सर सोचते हैं कि सफलता केवल अच्छे संसाधनों से आती है- महंगे उपकरण, अच्छी डिग्री, बड़े ब्रांड। लेकिन असल सफलता तो हुनर, धैर्य और मेहनत में छिपी होती है। इस कारीगर ने सिखाया कि सच्चा कौशल संसाधनों का मोहताज नहीं होता। सही मायने में, जिसके पास हुनर है, वही असली बादशाह है।

क्या हम सही दिशा में दौड़ रहे हैं?
आजकल हम देखते हैं कि लोग बेहतर जिंदगी के नाम पर अंधाधुंध भाग रहे हैं- महंगी गाड़ियाँ, बड़ा घर, ब्रांडेड कपड़े, और दिखावे के लिए खर्चा, लेकिन क्या यह असली खुशी है? अगर पैसा कमाने की इस दौड़ में हम सुकून, ईमानदारी और संतोष खो दें, तो क्या यह वाकई में तरक्की है?

कारीगर के चेहरे पर संतोष की जो चमक थी, वह शायद लाखों-करोड़ों कमाने वालों के चेहरे पर भी नहीं होती। उसने मुझे यह एहसास दिलाया कि
“कम पैसे में खुशी ढूंढना एक कला है, और यह कला हर किसी को नहीं आती!”

हम अक्सर शिकायत करते हैं कि हमारे पास यह नहीं, वह नहीं है। लेकिन जो लोग असल में खुश हैं, वे कम में भी खुश रहना जानते हैं। उन्होंने संतोष और मेहनत को अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लिया है।

पैसा कमाइए, पर इतना ही कि ज़रूरतें पूरी हों। इसका मतलब यह नहीं कि हम प्रगति न करें या पैसा कमाना गलत है। पैसा ज़रूरी है, लेकिन वह एक साधन है, उद्देश्य नहीं। हमें उतना ही कमाना चाहिए, जिससे हमारी जरूरतें पूरी हो जाएँ, और साथ ही हम किसी और की मदद भी कर सकें।

अगर पैसा ही सब कुछ होता, तो दुनिया के सबसे अमीर लोग भी शांति से सोते, लेकिन हकीकत इसके उलट है। खुशी और सुकून वहीं रहता है, जहाँ संतोष, मेहनत और ईमानदारी होती है।

असली अमीरी क्या है?
✅ वह नहीं, जो बैंक बैलेंस में हो, बल्कि वह जो मन की शांति में हो।
✅ वह नहीं, जो महंगे कपड़ों में हो, बल्कि वह जो चेहरे की सच्ची मुस्कान में हो।
✅ वह नहीं, जो सोने-चाँदी में हो, बल्कि वह जो दिल की ईमानदारी और आत्म-सम्मान में हो।

क्या हम सीखेंगे?
यह छोटी-सी घटना हमें बहुत बड़ी सीख दे जाती है। दुनिया में सबसे कीमती चीजें खरीदी नहीं जा सकतीं- इमानदारी, मेहनत, हुनर, संतोष और दूसरों के लिए कुछ करने की भावना।

अगर हम सही मायने में अमीर बनना चाहते हैं, तो सिर्फ बैंक बैलेंस नहीं, बल्कि अपनी सोच, अपने काम, और अपने रिश्तों को भी समृद्ध बनाना होगा। क्योंकि अंत में, दुनिया से कुछ साथ नहीं ले जाया जा सकता- या तो छोड़कर जाइए, या देकर जाइए!

तो आज से ही सोचें- क्या हमें जिंदगी सिर्फ कमाने में बितानी है, या उसे सही मायनों में जीना भी है?

सार यही है कि- 
✅ संसार से कुछ साथ नहीं जाएगा, इसलिए जितना कमाओ, उतना दूसरों की भलाई में भी लगाओ।
✅ हुनर औजारों में नहीं, हाथों में होता है।
✅ ईमानदारी और मेहनत सबसे बड़े धन हैं।

Mahesh soni

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *