परंपरागत गेहूं-चने की जगह कंद फसल पर किसान लगा रहे दांव
बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। इन दिनों कंद फसल में शामिल लहसुन-प्याज के बढ़ते भाव किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बना रहे हैं। चार-पांच वर्ष पूर्व जिस लहसुन-प्याज की उपज ने किसानों को कर्ज के दलदल में पहुंचाया था, वही लहसुन-प्याज अब मालामाल कर रहे हैं। कंद फसल के भाव इन दिनों अपने उच्चतम स्तर पर है। इनके बढ़ते भाव ने किसानों की किस्मत को जगा दिया है। इस बार बड़ी संख्या में किसान कंद फसल लगाने में व्यस्त हैं।
उल्लेखनीय है कि तीन-चार वर्ष पूर्व भाव में अचानक गिरावट से कई किसान अपने ट्रैक्टर व अन्य वाहन बेचने को मजबूर हुए थे। हालत तो यह थी कि मंडी तक पहुंचाने का भाड़ा ना निकलने से किसानों को घुड़े में उपज को फेंकना पड़ा था। बेहरी क्षेत्र में ही कई किसान अपनी बैंक की किस्त नहीं भर पाए थे। ऐसे में ट्रैक्टर बेचकर लोन को पूर्ण करना पड़ा था। उस वक्त लहसुन-प्याज का भाव इतना कम था कि मंडी में ले जाने का भाड़ा भी नहीं निकल रहा था। इन दिनों लहसुन 25 हजार से 30 हजार रुपए क्विंटल में बिक रही है। क्षेत्र में दर्जनभर से अधिक किसान परिवारों ने नई कार, मोटरसाइकिल लहसुन को बेचकर खरीदी। दो नए ट्रैक्टर किसान परिवारों ने लहसुन बेचकर खरीदे।
वर्षों बाद भाव 30 हजार से ऊपर पहुंचे-
किसान भोजराज दांगी, पूर्व सरपंच सूरजसिंह पाटीदार, रामचंद्र दांगी, महेंद्र दांगी तथा भागीरथ पटेल ने बताया कि वर्षों बाद लहसुन का भाव 30 हजार रुपए क्विंटल से ऊपर पहुंचा है। आलू का भाव भी 3000 से 3500 प्रति क्विंटल मिल रहा है। प्याज का भाव भी 3500 से 4000 प्रति क्विंटल मिल रहा है, जो अपने आप में विगत 5 वर्ष में उच्चतम स्तर पर पहुंचा है। किसानों ने बताया कि पहली बार कंद वाली फसल में तेजी आने से उन किसानों को फायदा हुआ है, जिन्होंने यह फसल गिरते दाम पर ना बेचते हुए संभालकर रखी थी। तीनों कंद फसल के भाव 5 वर्ष के उच्चतम स्तर पर है। 4 वर्ष पूर्व इन्हीं फसलों के कारण कुछ किसानों ने अपनी जमीन बेची, वाहन बेचे। अब फिर किस्मत ने पलटा खाया। आज फिर इसे लाटरी फसल मानकर दांव लगा रहे हैं।
बड़े रकबे में लगा रहे कंद फसल-
क्षेत्र में वर्तमान में लहसुन, आलू एवं प्याज की फसल बड़े रकबे में लगाई जा रही है। किसान एक बार फिर गेहूं व चने के मोह से दूर होकर कंद फसल में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। बेहरी क्षेत्र में विगत 8 दिनों से किसान आलू, लहसुन फसल लगाने में जुटे हैं। किसान केदार पाटीदार, डॉ. संतोष चौधरी, अजय पाटीदार ने बताया कि 60 से 70 दिन की आलू फसल को निकालकर प्याज फसल व बिटकी चने लगाने का प्रयोग करेंगे। किसान पवन पाटीदार ने बताया कि आलू फसल 60 दिन में मौसम अनुकूल रहा तो निकालकर मंडी में बेचने के काबिल हो जाती है। इस बार पर्याप्त पानी है, इसलिए फरवरी माह तक भी प्याज व चना फसल लगाई जा सकती है।
खेरची में और भी ज्यादा भाव-
वर्तमान में बाजार में प्याज 45 रुपए किलो, आलू 35 रुपए किलो, लहसुन 350 रुपए किलो, अदरक 200 रुपए किलो, अरबी 80 रुपए किलो तक बेची जा रही है। कंद फसल के इतने अधिक भाव एक साथ अभी तक नहीं आए हैं, जो वर्तमान में हैं।
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