धर्म-अध्यात्म

धर्म ग्रंथों को अपने जीवन में उतारे- महंतजी

देवास। धर्म ग्रंथों की बातों को केवल श्रवण नहीं करें, बल्कि अपने जीवन में उनका पालन भी करे। धर्म ग्रंथों के अनुरूप जीवन यापन करना चाहिए। नियम-संयम धर्म ग्रंथों में बताए गए हैं, उनका पालन कर हम जीवन को सफल बना सकते हैं।

यह विचार श्रीराम द्वारा में भागवत कथा के अंतर्गत महंत स्वामी राम नारायण जी ने प्रकट किए। उन्होंने कहा कि मनुष्य को अपने मन में कभी संशय नहीं रखना चाहिए। संशय से व्यक्ति भटक जाता है। संशय से भ्रम की स्थिति निर्मित होती है और इससे कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। भागवत गीता का उदाहरण देते हुए स्वामी जी ने कहा कि भागवत गीता में जीवन को सफल बनाने की युक्ति है। हम नियमित रूप से भागवत गीता का अध्ययन, मनन और चिंतन करते हैं तो हमें ज्ञान की प्राप्ति होती है और यह ज्ञान हमें सही-गलत का बोध कराता है। स्वामी जी ने
शुकदेव मुनि एवं राजा परीक्षित के बीच हुए संवाद का विस्तृत वर्णन किया। उन्होंने कहा कि राजा परीक्षित ने मुनि से अनेक रहस्य पूछे, जिनका उन्होंने निवारण किया। मानव को अपने कर्तव्य का हर परिस्थिति में पालन करना चाहिए। ईश्वर के प्रति सच्ची श्रद्धा रखकर कार्य करना चाहिए। ऐसा करने निश्चित सफलता मिलती है। कथा श्रवण के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। इस दौरान भजन-कीर्तन भी किया गया। यहां भागवत कथा का समय प्रतिदिन दोपहर 1 से शाम 5 बजे तक रखा गया है। मंगलवार को डोल ग्यारस के अवसर पर रामद्वारा का डोल निकाला जाएगा। यह जानकारी महेश सोनी ने दी।

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