खेत-खलियान

रुक-रुक कर हो रही वर्षा ने किसानों की उम्मीद जगा दी

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– रूठा मानसून 3 दिन से सक्रिय, किसान के चेहरे खिले

बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। शुक्रवार से क्षेत्र में मानसून सक्रिय हुआ। चार रोज से कभी तेज कभी रिमझिम वर्षा से किसान परिवार प्रसन्न नजर आ रहे हैं। हालांकि देवी-देवताओं को मनाने का दौर जारी है। पानी गिर जाने के बाद भी उनकी पूजा पद्धति में कोई कमी नहीं है।

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बुजुर्ग किसान नाथूसिंह सेठ, मूलचंद पाटीदार, बद्रीलाल पाटीदार, कुंवर पाटीदार, भागीरथ पटेल व घीसालाल दांगी ने बताया, कि सावन में इस प्रकार का पानी गिरना जिसे रंजने वाला पानी कहते हैं यह पानी विगत कई दिनों से प्यासी धरती के लिए अमृत समान है। धीरे-धीरे गिरने वाला पानी जमीन में अंदर तक जाता है, जो सूखी पड़ी नदियों एवं कुओं के लिए वरदान है। यूट्यूबवेल सूख गए थे, वे भी चार्ज हो जाएंगे। तेज बाहर निकलने वाला पानी फायदा कम नुकसान ज्यादा करता है।

वर्तमान में 3 दिन से गिर रही वर्षा ने सभी ओर हरियाली की चादर बिछा दी है। फसलों में भी यकायक वृद्धि हो गई है जो फसल 15 दिन में जितनी नहीं बढ़ पाई उतनी फसल 4 दिन में बढ़ गई। कहीं-कहीं सोयाबीन फसल में फूल आने लग गए हैं, वहीं मूंगफली में भी फूल दिखाई दे रहे हैं।

किसानों का कहना है, कि मनमाफिक रूप से इस बार मानसून चल रहा है। हालांकि अभी तक तेज बहाव वाली बारिश नहीं हुई है, फिर भी 7 इंच बारिश हो चुकी है जो विगत वर्ष की तुलना में 5 इंच कम है। वर्तमान में पशुओं को खिलाने का चारा एवं अन्य घास इसी प्रकार के मानसून बारिश से होती है।

पशु मालिकों ने बताया कि सात आठ-दिन बाद हरा चारा पर्याप्त मात्रा में दिखाई देने लगेगा। इंद्र देवता की मेहरबानी बनी रही तो अभी तक फसल की ग्रोथ अच्छी है आगे भी रहेगी।

क्षेत्र के किसानों ने इस बार मन बना लिया है, कि वह बहते पानी को रोकने के सारे प्रयास करेंगे, कारण है कि विगत वर्ष पानी की कमी ने उन्हें एहसास करा दिया है। इसके लिए 100 किसानों ने संकल्प पत्र भरे हैं, कि वह अपने खेतों पर स्वयं के खर्चे से बोरी बंधान के तहत समीप में बह रहे नालों को रोकेंगे। रविवार को सुबह इस प्रकार की शपथ किसानों द्वारा स्कूल प्रांगण में ली गई।

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